वोकेशनल टीचर्ज ने हिमाचल सरकार से की यह मांग

स्टाफ रिपोर्टर—शिमला
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2013 से संचालित व्यवसायिक शिक्षा योजना के तहत कार्यरत हजारों व्यावसायिक शिक्षक पिछले 12 से भी अधिक वर्षों से निरंतर सेवाएं दे रहे हैं। इन शिक्षकों की नियुक्ति भले ही निजी एजेंसियों के माध्यम से हुई हो, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली, समयसारिणी, परीक्षा दायित्व, प्रशिक्षण एवं स्कूल स्तर पर प्रदर्शन की पूरी निगरानी शिक्षा विभाग द्वारा की जाती है। इसके बावजूद आज तक इन शिक्षकों को नियमित करने हेतु कोई स्पष्ट नीति सरकार द्वारा नहीं बनाई गई है, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा पीटीए, पैट, पैरा और भाष अध्यापक जैसे संविदा कर्मियों को नियमित करने हेतु विशेष नीति बनाई गई है, वहीं व्यावसायिक शिक्षकों की वर्षों की सेवा और योग्यता की अनदेखी की जा रही है।
व्यावसायिक शिक्षकों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पांच वर्ष या उससे अधिक सेवा दे चुके व्यावसायिक शिक्षकों को क्रमिक रूप से नियमित किया जाए। व्यावसायिक शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें एचपी स्कील डिवेलपमेंट कॉरपरेशन या शिक्षा विभाग के अधीन अनुबंध पर समायोजित किया जाए।
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