डा. अश्विनी महाजन, कालेज एसोशिएट प्रोफेसर

जाहिर है कि इस युग में नीति निर्माताओं से अपेक्षा है कि वे सभ्य समाज के निर्माण की ओर आगे बढ़ें, जंगल राज की तरफ नहीं। भारत सरकार से अपेक्षा है कि वह इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के श्रमिकों यानी गिग श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा हेतु योजनाएं बनाए… हाल ही में ‘बलिंकिट’ नाम की एक ई-कॉमर्स

एक ऐसी कम्प्यूटर व्यवस्था जो तीव्र हो, जिसमें बहुआयामी प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जा सके, जो बिग डाटा को समाहित कर सके और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जिसकी हैकिंग न हो सके, उसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। ऐसे में क्वांटम फिजिक्स में हो रहे शोध और नवाचार से भारत अलग नहीं

समझना होगा कि लंबे समय तक कैश बर्निंग के आधार पर बिजनेस को आगे बढ़ाना और उसके लिए और अधिक निवेश प्राप्त करना आने वाले समय में कठिन होता जाएगा। कहा जा सकता है कि इस ‘कैश बर्निंग मॉडल’ को बाजार स्वीकार करने वाला नहीं है। यदि इन स्टार्टअप्स को भविष्य में अपने व्यवसाय को

देश में मैन्युफैक्चरिंग को बल देना होगा, लागतों को कम करना होगा और वर्तमान में इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण की गति को बरकरार रखना होगा। गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 में भारत की अर्थव्यवस्था मात्र 2 खरब डॉलर से भी कम थी, जो अभी तक बढक़र 3.5 खरब डॉलर से ज्यादा हो चुकी है। वर्ष 2030 में

विश्व को डॉलरों की सत्ता से मुक्ति के बाद दुनिया में डॉलर की कीमत पर इसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा। अब डॉलर की मजबूती की प्रवृत्ति पर भी कहीं न कहीं लगाम लगेगी। उसका फायदा दुनिया के तमाम मुल्कों को हो सकता है, जिनकी कैरेंसियां डॉलर के मुकाबले अब बेहतर हो सकेंगी। विश्व अब बदल रहा

ओएनडीसी को भी एक ऐसी प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है जो उपभोक्ताओं के शोषण को रोक सकती है… एक दशक से अधिक समय से, ई-कॉमर्स में भारत और दुनिया में भारी वृद्धि देखने को मिली है। भारत में कुल खुदरा व्यापार का लगभग 6.5 प्रतिशत आज ई-कॉमर्स के माध्यम से होता है।

भारत को 126वें स्थान पर रखा गया है, जबकि 137 देशों की सूची में अफगानिस्तान सबसे अंतिम पायदान पर दिखाया गया है। हालांकि भारत की रैंकिंग पहले से बेहतर हुई है क्योंकि पिछले साल तो भारत को 136वें स्थान पर बताया गया था… मार्च 2023 के तीसरे सप्ताह में ‘सस्टेंनेबल डेवलपमेंट सोल्युशन नेटवर्क’ द्वारा विश्व

अलग-अलग देशों की अपनी रेटिंग एजेंसियां हो सकती हैं। ऐसे में चंद एजेंसियों का एकाधिकार खत्म हो जाएगा। साथ ही इन रेटिंग एजेंसियों के पास खुद निवेशकों से पैसे कमाने की व्यवस्था होना चाहिए… वर्ष 2007-08 के दौरान अमरीकी अर्थव्यवस्था एक भयंकर त्रासदी से गुजरी और लेहमन ब्रदर्स के साथ-साथ सैकड़ों अमरीकी बैंक दिवालिया हो

विदेशी एजेंसियों द्वारा भारतीय उद्यमों पर किए गए हमलों से इन कंपनियों को बचाना होगा। अगर कोई गलती हो तो उसे दुरुस्त किया जा सकता है… जनवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में हिंडनबर्ग रिसर्च नाम की एक फर्म ने अडानी समूह के खिलाफ कुछ गंभीर आरोप लगाए थे जिसमें धोखाधड़ी और गलत तरीके से शेयर

समझना होगा कि जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वैश्विक वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए वर्तमान वैश्विक शासन और संस्थाएं विफल हो चुकी हैं। प्रश्न यह है कि मानवता पर आसन्न संकटों से निपटने और दुनिया में खुशहाली लाने में जी-20 देशों द्वारा कितने