डा. अश्विनी महाजन, कालेज एसोशिएट प्रोफेसर

भारत को 126वें स्थान पर रखा गया है, जबकि 137 देशों की सूची में अफगानिस्तान सबसे अंतिम पायदान पर दिखाया गया है। हालांकि भारत की रैंकिंग पहले से बेहतर हुई है क्योंकि पिछले साल तो भारत को 136वें स्थान पर बताया गया था… मार्च 2023 के तीसरे सप्ताह में ‘सस्टेंनेबल डेवलपमेंट सोल्युशन नेटवर्क’ द्वारा विश्व

अलग-अलग देशों की अपनी रेटिंग एजेंसियां हो सकती हैं। ऐसे में चंद एजेंसियों का एकाधिकार खत्म हो जाएगा। साथ ही इन रेटिंग एजेंसियों के पास खुद निवेशकों से पैसे कमाने की व्यवस्था होना चाहिए… वर्ष 2007-08 के दौरान अमरीकी अर्थव्यवस्था एक भयंकर त्रासदी से गुजरी और लेहमन ब्रदर्स के साथ-साथ सैकड़ों अमरीकी बैंक दिवालिया हो

विदेशी एजेंसियों द्वारा भारतीय उद्यमों पर किए गए हमलों से इन कंपनियों को बचाना होगा। अगर कोई गलती हो तो उसे दुरुस्त किया जा सकता है… जनवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में हिंडनबर्ग रिसर्च नाम की एक फर्म ने अडानी समूह के खिलाफ कुछ गंभीर आरोप लगाए थे जिसमें धोखाधड़ी और गलत तरीके से शेयर

समझना होगा कि जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वैश्विक वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए वर्तमान वैश्विक शासन और संस्थाएं विफल हो चुकी हैं। प्रश्न यह है कि मानवता पर आसन्न संकटों से निपटने और दुनिया में खुशहाली लाने में जी-20 देशों द्वारा कितने

पाकिस्तान के लोगों को समझना होगा कि सरकारों के बदलने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। पाकिस्तान को बचाने का एक ही रास्ता है कि वह अपनी नीतियों को ठीक करे, अपने वित्तीय अनुशासन को सम्भाले, प्रतिरक्षा पर फिजूलखर्ची से बचे, अपने उद्योगों को बचाने की तरफ ध्यान दे, चीन के चंगुल से जल्द

गौरतलब है कि चीन से आने वाले अंधाधुंध आयातों के कारण पूरी दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हुई, जिसके कारण दुनिया भर के मुल्कों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। चीन की बढ़ती आर्थिक और सामरिक ताकत के चलते, भारत समेत चीन के सभी पड़ोसी देश ही नहीं, कई दूसरे मुल्क भी आशंकित हैं।

कई मामलों में पुराने कर्ज चुका कर नए ऋण कम ब्याज पर लिए जा सके थे। ऐसे में सरकार पर ऋण का बोझ कम हो गया था। कहा जा सकता है कि सरकारी कर्ज के बोझ को कम करने हेतु ब्याज दरों में कमी जरूरी है… पिछले कुछ दिनों से मीडिया और सोशल मीडिया में

आज जब बड़े विकसित देश अपनी सामरिक और आर्थिक शक्ति के बलबूते दूसरे मुल्कों पर शर्तें और प्रतिबंध लगाने की कोशिश में लगे हैं, भारत अपनी स्वतंत्र आर्थिक, सामरिक और विदेश नीति के आधार पर अपने हितों की रक्षा करने की इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है। यही स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता हमारे विकास और

पिछले कुछ समय से सरकार का जोर पर्यटन पर है। इस बजट में कनैक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ इस क्षेत्र में स्वरोजगार, कौशल निर्माण समेत कई प्रावधान बजट में हैं। हालांकि अपेक्षा की जा रही थी कि इस बजट में मैन्युफैक्चरिंग पर ज़ोर रहेगा, बजट में उसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं दिख रहे। आज देश

समझा जा सकता है कि जीएम फसलों को अपनाकर उत्पादकता बढऩे के तमाम तर्क असत्य हैं और वास्तव में जीएम फसलों द्वारा उत्पादकता बढऩे की कोई संभावना ही नहीं है। लेकिन इसके कारण पर्यावरण, स्वास्थ्य और भारत के विदेश व्यापार में नुकसान के मद्देनजर सरकार को सत्य की जांच करनी चाहिए और जीएम फसलों को