भूपिंदर सिंह

अच्छा होगा यदि हिमाचल प्रदेश सरकार अपने यहां खेल छात्रावासों में उच्च स्तरीय परिणाम दिलाने वाले क्षमतावान प्रशिक्षकों को नियुक्त करे… सिखाने का तरीका चाहे मौखिक हो या प्रायोगिक, सीखने वाले को कितना समझ आता है, यह सिखाने वाले पर बहुत निर्भर करता है। देश हो या प्रदेश, खेलों में जब-जब प्रशिक्षकों की भूमिका को

हिमाचल प्रदेश सरकार व भारतीय खेल प्राधिकरण अब धर्मशाला के ऊपर इंद्रुनाग के पास एक अच्छा ऊंचाई वाला प्रशिक्षण केंद्र बनाने की ओर अग्रसर हैं। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में जब से सिंथेटिक ट्रैक बिछा है, भारत के कई अच्छे एथलीट यहां के स्वच्छ वातावरण में ट्रेनिंग कर एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके

हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के पूर्व खिलाड़ी शिक्षकों व कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए मौका देने वाले कदम का हिमाचल की खेलों पर काफी असर पड़ सकता है… हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने अपने पूर्व में रहे खिलाड़ी शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों के लिए एक पत्र निकाला था। उस पत्र में शिक्षा निदेशालय ने शौकिया

विद्यार्थी की फिटनेस कैसी है, इसके लिए साल में कई बार परीक्षा होती है। हमारे यहां कुछ स्तरीय विद्यालयों में फिटनेस कार्यक्रम तो हैं, मगर शारीरिक क्षमताओं को नापने के लिए कोई परीक्षण नहीं है। इस सबके लिए विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों की सामान्य फिटनेस का मूल्यांकन कर उसमें सुधार के लिए सुझाव देकर ‘फिटनेस

हिमाचल प्रदेश सरकार का युवा सेवाएं एवं खेल विभाग अभी तक करोड़ों रुपए से बने इस खेल ढांचे के रखरखाव में नाकामयाब रहा है। उसके पास न तो चौकीदार हैं और न ही मैदान कर्मचारी, पर्याप्त प्रशिक्षकों की बात तो बहुत दूर की बात है। नई खेल नीति में लिखा है कि सरकार विभिन्न खेल

खेल संस्थान में हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों को वैज्ञानिक आधार पर लंबी अवधि के प्रशिक्षण शिविर लगें तथा प्रदेश के शारीरिक शिक्षकों व पूर्व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों के लिए सेमिनार व कम अवधि के प्रशिक्षक बनने के कोर्सेज हों। साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज खेल जगत में बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा हो गई है। इसलिए उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन करने पर भी पोडियम तक पहुंचना सबके बस की बात नहीं है। अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं की पदक तालिका में स्थान बनाने के लिए जहां विद्यालय स्तर से ही अच्छे ज्ञानवान प्रशिक्षक चाहिए, वहीं पर प्ले फील्ड भी बहुत

जिस संस्थान को सामग्री मिले वहां भी कमेटी देखे कि वह घटिया स्तर का तो नहीं दे दिया। अच्छी प्रशिक्षण सुविधा के अभाव में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी समय से पहले ही खेल को अलविदा कह जाते हैं और जिनके पास धन व साधन हैं वे अच्छे प्रशिक्षण के लिए हिमाचल प्रदेश से पलायन कर जाते

हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्य भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केन्द्र खोलने पर जोर दे रहे हैंं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित