भूपिंदर सिंह

इस कार्यक्रम के अतंर्गत विद्यालय के हर विद्यार्थी का साल में तीन बार विभिन्न शारीरिक क्षमताओं का परीक्षण कर उनका मूल्यांकन किया जाए… पुरातन भारत की शिक्षा पद्धति गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित गुरुकुलों में दी जाती थी। उसमें विभिन्न विद्याओं के साथ-साथ शारीरिक विकास पर पूरा ध्यान दिया जाता था। वर्तमान में भी भारत के

तीसरा नियम है तप। इस नियम में अपने वर्ण, आश्रम, परिस्थिति और योग्यता के अनुसार स्वधर्म का पालन करना। व्रत, उपवास आदि भी इसी में शामिल किया जाता है। यानी कि स्वयं से अनुशासित दिनचर्या में रहना है। स्वाध्याय चौथा नियम है जिससे कत्र्तव्य का बोध हो सके, मतलब शास्त्र का अध्ययन करना। महापुरुषों के वचनों का अनुपालन भी स्वाध्याय के अंतर्गत आता है। ईश्वर प्राणिधान पांचवां नियम है। ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण व संपूर्ण श्रद्धा रखना

आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से 20 मिनट

खेल शारीरिक व मानसिक दोनों तरह की फिटनेस देते हैं जो किसी भी राज्य व देश की तरक्की के लिए बहुत जरूरी हैं। नई खेल नीति में किए गए सुधार व सुविधाएं हिमाचल प्रदेश में खेल संस्कृति के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। देखते हैं हिमाचल प्रदेश की वर्तमान सरकार के खेल मंत्री विक्रमादित्य

इस बरबादी को अभी से रोकना होगा। तभी हम आने वाली पीढिय़ों से न्याय कर सकंेगे… देश में हो रही लड़कियों की क्रिकेट लीग में हिमाचल प्रदेश महिला क्रिकेट खिलाडिय़ों की बहुत बल्ले बल्ले हो रही है। सीजन के लिए करोड़ों मैच फीस मिलना बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस सब के लिए अनुराग ठाकुर के

कबड्डी में साई प्रशिक्षकों में नंदलाल ठाकुर व जयपाल चंदेल ने अपने-अपने कार्यकाल में अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है। एथलेटिक्स में स्वर्गीय बलदेव सिंह, जीआर मेहता व स्वर्गीय सतीश कुमार ने यहां से अच्छे धावक व धाविकाओं को प्रशिक्षित कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर का सफर तय करवाया है। अकादमियों के लिए बजटीय प्रावधान हो…

राज्य के अधिकतर महाविद्यालय अच्छे खिलाडिय़ों को मंच देने में नाकाम रहे हैं। शिक्षकों-प्राचार्यों को चाहिए कि वे खेलों के आयोजन में सकारात्मक भूमिका निभाएं, तभी ठीक रहेगा… सन् 2022-2023 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों के निदेशालय ने अंतिम बार पूरे हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों की खेलों का आयोजन विभिन्न

आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से 20 मिनट

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पास अपना नियमित शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों का निर्देशक व प्रशिक्षक कैडर भी नहीं था। अभी कुछ महीने पहले ही नियुक्तियां की हैं… सर्न 2022-2023 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों के निदेशालय ने अंतिम बार पूरे हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों की खेलों का आयोजन विभिन्न