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भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं अगर पटेल की योजना अस्वीकार न की गई होती, तो आज भारत अमरीका के समान एक संघ होता और राजनीतिक व्यवस्था भी वैसी ही होती। हमारी राज्य सरकारें केंद्रीय नियंत्रण पर कम निर्भर होतीं, और जनता द्वारा निर्वाचित

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं भारत किसी भी प्रतिनिधि को राष्ट्रव्यापी रूप से नहीं चुनता, फिर चुनाव आयोग एक सेंट्रल निकाय क्यों हो? हर राज्य के चुनाव आयोग को प्रत्येक पार्टी के स्थानीय खंडों को नियंत्रित करने की शक्ति देनी चाहिए। यह कदम

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं वर्ष 1963 में निष्ठावान कांग्रेसी और संविधान सभा के सदस्य केएम मुंशी ने लिखा कि ‘‘अगर मैं फिर से चुन पाऊं तो मैं राष्ट्रपति प्रणाली के पक्ष में वोट दूंगा।’’ पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने 1965 में लिखा,

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं संविधान अंगीकार करने के कुछ दिनों में ही नेहरू और राजेंद्र प्रसाद के बीच मूक रस्साकशी आरंभ हो गई। ये लड़ाइयां अकसर कानून नकारने के राष्ट्रपति के अधिकार पर थीं। उनके पहले कार्यकाल में ही भारत तीन बार

भानु धमीजा (सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं) जब मजबूत विपक्ष की बात आती है तो मोदी का दृष्टिकोण नेहरू से पूरी तरह भिन्न है। जहां नेहरू ने एक बार कहा था, ‘‘मैं ऐसा भारत नहीं चाहता जिसमें लाखों लोग एक व्यक्ति की हां में हां

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ (लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं) किसी भी देश में एक स्वस्थ राजतंत्र के निर्माण के लिए द्वि-दलीय व्यवस्था आवश्यक है। मुद्दों पर बहुमत का नजरिया जानने की जनता की मूल लोकतांत्रिक इच्छा को संतुष्ट करने का यही एकमात्र रास्ता है। इससे लोग चुनावी व

भानु धमीजा ( भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ ) लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं चुनावों पर आधारित एक देश में चुनावों की संख्या कम करना कुछ विचित्र है। क्या भारत के लोकतंत्र से भी अधिक महत्त्वपूर्ण कुछ और है? अकसर चुनाव होना हमारी ताकत होनी चाहिए। हमने केंद्र

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं भारतीय धर्म निरपेक्षता असफल रही है क्योंकि यह सरकारों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करने का अधिकार तो देती है, परंतु धर्मों से समान व्यवहार करने को मजबूर नहीं करती। इस संबंध में सबसे बड़ी असफलता तो गणतंत्र के