ब्लॉग

फिरोज बख्त अहमद स्वतंत्र लेखक भारत में इन जघन्य आतंकी हमलों पर फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती या गुलाम नबी आजाद ने कभी टिप्पणी नहीं की। समस्या फारूक अब्दुल्ला एंड कम्पनी में यह रही कि ये गरीब और अनपढ़ कश्मीरियों के वोट लेकर मुटियाते रहे और बेचारी जनता अंधे कुएं में गिरती रही। यही नहीं, ये

सीताराम शर्मा सिद्धार्थ लेखक शिमला से हैं मित्रताएं भी स्वार्थपरायण हो रही हैं। आस-पड़ोस से बातचीत निजता में खलल की परिभाषा में हो गया है। पुस्तकें पढ़ने और सृजनात्मक कार्यों में आम लोगों की रुचि कम हुई है। कला और संस्कृति से बहुत कम लोग जुड़े हैं। सेवा, देखभाल, आत्मीयता सब घर-परिवारों से गायब सा

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार इसके बावजूद इसके नाम कमजोर लोकतांत्रिक कार्यशैली का कमजोर रिकार्ड है। वे 23 नेता, जो पार्टी संगठन के चुनाव की मांग कर रहे हैं, पार्टी के शत्रु नहीं हैं। वास्तव में वे मुरझाती हुई पार्टी की आत्मा को फिर से जगाने के लिए लड़ रहे हैं। यह भी स्पष्ट

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक आज कौन देश कितना हर क्षेत्र में आगे  है, इस बात का पता ओलंपिक की पदक तालिका से  चलता है जहां विकसित देश ही ऊपर होते हैं। विकसित देशों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी व चिकित्सा के साथ-साथ खेल क्षेत्र में काफी प्रगति की है। मानव की वृद्धि व विकास जानने के

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार इसी तरह सत्तासीन लोगों की उदासीनता और भ्रष्टाचार से परेशान जनमानस धीरे-धीरे इस बात के कायल हो जाते हैं कि शासन तो डंडे के जोर पर ही चलता है। यही कारण है कि हमें इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी जैसे तेज़-तर्रार शासक कहीं ज़्यादा पसंद आते हैं। इससे इंकार नहीं किया

यहां ध्यान योग्य बात है कि कुल 299 सदस्यों में से 284 लोगों ने 26 नवंबर 1949 को यह संविधान अपने हस्ताक्षरों के साथ अपना लिया। हमारे संविधान के बारे में एक जानकारी यह भी है कि इसे पारित करते समय 145000 शब्दों का प्रयोग हुआ है। भारत के मूल संविधान को हिंदी और अंग्रेजी

डा. वरिंदर भाटिया कालेज प्रिंसिपल इसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है कि हमारे पास सही जानकारी हो और हम सावधान तथा जागरूक रहें। इस बात में शक नहीं है कि महामारी के इस दौर में कई लोगों को मानसिक तनाव हो सकता है। हो सकता है कि आपको बेचैनी महसूस हो रही हो,

खनन विभाग ने इतनी बड़ी चक्की खड्ड में इस माफिया पर लगाम लगाने के लिए सिर्फ  एक अधिकारी तैनात किया था। गुंडागर्दी के सहारे स्टोन क्रशर चलाने वालों से फिर कौन पंगा लेकर इस खड्ड को बचा सकता था। खनन विभाग के अनुसार खड्डों में जेसीबी मशीन लगाए जाने पर पूर्णतया प्रतिबंध है। खड्डों में

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक रिजर्व बैंक के पास अधिकार हैं कि वह निजी बैंकों को आदेश दे सकता है कि वे किन ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी शाखाएं खोलकर अपनी सेवाएं उपलब्ध कराएं। दुर्भाग्यवश इंदिरा गांधी ने प्राइवेट बैंकों को इस प्रकार के  दिशा-निर्देश देने के स्थान पर उनका राष्ट्रीयकरण कर दिया जो हितकर होने के