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पिछले दिनों कुल्लू जिला के मनाली में स्मिशिंग का एक नई तरह का मामला सामने आया जिसमें हैकर द्वारा एक ई-कॉमर्स कंपनी के डिलीवरी ब्वॉय को यह कहा गया कि उसके द्वारा मंगवाए गए लैपटॉप का भुगतान वह डिलीवरी ब्वॉय के खाते में कर देगा। इस हैकर ने पैसे तो ट्रांसफर नहीं किए, लेकिन एक

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री जापान में उद्योग-कारोबार के सबसे बड़े संगठन किदानरेन के अध्यक्ष हिरोआकी नाकानिशी ने कहा है कि जब तक भारत इस करार का हिस्सा नहीं बनता, इस व्यवस्था का पूरा फायदा नहीं होगा। भारत आरंभ से आरसेप के लिए हो रही वार्ताओं का हिस्सा था, लेकिन पिछले साल 2019 में वह

राजेंद्र मोहन शर्मा रिटायर्ड डीआईजी हिमाचल की बात करें तो अवैध खनन का परंपरागत धंधा अपनी जड़ें पूरी तरह फैला बैठा है। हिमाचल की खड्डों से रेत व बजरी बड़े-बड़े टिप्परों द्वारा दूसरे राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान इत्यादि राज्यों में भेजी जा रही है। विपक्ष के विधायक भी इसलिए चुप रहते हैं क्योंकि

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार कुछ सीटें आ जाती तो राज्यसभा का दरवाजा खुल सकता था। सिब्बल जैसे लोगों की जरूरत सोनिया कांग्रेस को हर वक्त रहती है। भ्रष्टाचार के इतने मामले कचहरियों में इस पार्टी के नेताओं पर चल रहे हैं कि आदमी हलकान हो जाए। कभी जेल, फिर जमानत। तारीख पर तारीख।

गौधन के बिना प्राकृतिक कृषि का समीकरण अधूरा रहेगा। यदि देश में सिंथेटिक दूध यानी सफेद दूध के काले कारोबार पर लगाम लगानी है या रासायनिक खादों व कीटनाशकों पर निर्भरता कम करके वीरानगी की जद में जा चुके कृषि क्षेत्र की उर्वरा ताकत बढ़ाकर उसे प्राकृतिक खाद्यान्न उत्पादन से आबाद करके किसानों को आत्मनिर्भर

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार राष्ट्रीय जनता दल को उभारने में जातीय कारक ने भूमिका निभाई है तथा तेजस्वी यादव एक नेता के रूप में प्रतिस्थापित हुए हैं। लेकिन उनकी कमजोरी यह है कि वह नौवीं क्लास फेल हैं तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जरूरतों को वह समझते नहीं हैं। ऐसी योग्यता के साथ वह

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक ऊना व मंडी में तरणताल बने हैं, मगर वहां पर भी कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। हिमाचल प्रदेश में तैराक ही नहीं हैं। यहां पर भी  प्रशिक्षण न होकर गर्मियों में मस्ती जरूर हो जाती है। ऊना में हाकी के लिए एस्ट्रोटर्फ  बिछी हुई है,

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार समस्या यह है कि मोदी अपनी मनमानी के लिए संविधान में कुछ ऐसे परिवर्तन चाहते हैं जिसके लिए उन्हें लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत और कम से कम आधे राज्यों में भाजपा सरकार की दरकार है। मोदी बहुत दूरअंदेशी हैं और वे जानते हैं कि यदि नीतीश को मुख्यमंत्री न

इसमें कोई दो राय नहीं कि जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण में पूर्व  की अपेक्षा अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। प्रति यूनिट विद्युत उत्पादन में अधिक लागत के कारण भी निवेशक हाथ पीछे खींच रहे हैं। परंतु धौलासिद्ध और लुहरी में एसजेवीएनएल ने निवेश करके यह साबित कर दिया कि जलविद्युत परियोजनाएं घाटे