ब्लॉग

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार कोरोना वायरस के कारण कोचिंग क्लासेज भी बंद हैं, जिसके चलते राष्ट्रव्यापी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं के लिए तैयारियों पर बुरा असर पड़ा है। पढ़ाई की तकनीक में एक बड़ा बदलाव आया है, क्योंकि बड़े पैमाने पर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है। कंप्यूटर कोरोना वायरस के हमले को हराने के

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए बहुत अधिक संसाधनों व धन की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में किसी हद तक संसाधन व प्रशिक्षक तो मिल जाते हैं, मगर फिर भी इस सबसे अलग खिलाड़ी को अन्य कई प्रकार के खर्चों के लिए धन की जरूरत होती

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार ऊंट और शेर के ये दो उदाहरण हमें समझाने के लिए काफी हैं कि समस्याएं और चुनौतियां हमारे जीवन का हिस्सा हैं। हम इनसे बच नहीं सकते, चुनौतियों का हल खोजने और समस्याएं हल करने का प्रयास कर सकते हैं। इसमें कभी हम सफल होंगे और कभी असफलता भी हाथ लगेगी।

संजय शर्मा लेखक शिमला से हैं 17 जून 2020 को जारी पत्र के अनुसार ‘कोविड-19’ के दृष्टिगत भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद के मूल्य  के आधार पर अतिरिक्त दो फीसदी उधार लेने की अनुमति प्रदान की गई है। सामान्य परिस्थितियों में यह सीमा तीन फीसदी रहती है, जिसे ‘कोविड-

डा. वरिंदर भाटिया कालेज प्रिंसिपल अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का कहना है कि देश में कुपोषण और भूख से पीडि़त बच्चों की स्थिति काफी खतरनाक है और इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द नए विकल्पों को खोजा जाना चाहिए। जन्म के बाद बच्चों को जिन पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है,

प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल लेखक शिमला से हैं यदि खेती-बागबानी में प्रयुक्त होने वाली सभी आवश्यक आदान किसी भी भारतीय गाय के गोबर-गोमूत्र से बन जाते हों, यदि सभी बीज जनित या पौध-फल पर आने वाले रोगों या कीट इत्यादि की रोकथाम इसी गोबर-गोमूत्र एवं कुछ स्थानीय पेड़-पौधों के मिश्रण से बन जाए तो किसान

प्रो. मनोज डोगरा लेखक हमीरपुर से हैं वैसे तो भारत में छह से 14 साल के आयु वर्ग के प्रत्येक बालक और बालिका को स्कूल में मुफ्त शिक्षा का अधिकार है, लेकिन यहां पर 40 फीसदी से अधिक बालिकाएं 10वीं कक्षा के उपरांत स्कूल त्याग देती हैं जिसका सबसे बड़ा कारण गरीबी व परिवार का

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इन तमाम अव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए सरकार को पहला कदम यह उठाना चाहिए कि सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ सर्विस सरकारी कर्मियों तक सीमित करने के स्थान पर सभी जनता के लिए खोल देना चाहिए। नीति आयोग के सलाहकार राकेश सरवाल ने यह सुझाव दिया है जिस पर सरकार को

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री निःसंदेह रोबोट से नौकरियां खोने का चिंताजनक परिदृश्य भारत में अधिक दिखाई देगा। ऐसे में हमें रोबोटिक्स की बढ़ती हुई वैश्विक उपयोगिता के बीच देश की विकास नीति में रोबोट की भूमिका पर भी विशेष विचार-मंथन अवश्य करना होगा। चूंकि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की प्रतिस्पर्धा वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से