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भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक भारत के अधिकतर स्प्रिंटर समुद्र तट से संबंध रखते हैं। मछली इन लोगों का मुख्य आहार है। मछली में अच्छी गुणवत्ता का प्रोटीन मिलता है। उत्तर भारत में  शाकाहारी अधिक हैं, मगर गेहूं, दूध व उससे बने पदार्थों में भी अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन मिलता है। यह भी कारण है

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार दुनिया में कौन पूर्ण है? हरेक में कुछ न कुछ त्रुटियां रहती हैं, फिर दूसरों के दोष ढूंढकर उनको सुधारने की कोशिश करना अनुचित ही समझना चाहिए। जैसा कि ईसा ने कहा था कि लोग दूसरों की आंख का तिनका तो देखते हैं, पर अपनी आंख का शहतीर भी नहीं देखते।

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक ध्यान देने की बात है कि यह सुचक्र मांग से शुरू होता है। यदि बाजार में मांग होती है तो उद्यमी किसी न किसी तरीके से उत्पादन बढ़ा ही लेता है, जैसे वह अपने क्रेता से एडवांस ले लेता है अथवा परिजनों से ऋण ले लेता है। यही सुचक्र मांग के

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इस एसटीएम को यह बहम था कि हिंदुस्तान में अंग्रेजों के आने से पहले उनका राज था और भारत के लोग उनकी प्रजा थे। इसलिए कायदे से अंग्रेजों के जाने पर भारत का शासन उनके हवाले किया जाना चाहिए। लेकिन ब्रिटेन सरकार भी यह जानती थी कि ऐसा संभव

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार सरकारों के लिए शराब राजस्व का एक बड़ा माध्यम है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि अगर शराब बिक्री पर पाबंदी जारी रहती है तो इसकी भरपाई केंद्र को करनी चाहिए। यह बात अजीब है कि सभी राज्यों ने लॉकडाउन के हिस्से के रूप में शराब की

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार एकल परिवार में कामकाजी दंपत्ति के बच्चे अकेलापन महसूस करने पर टीवी और प्ले स्टेशन में व्यस्त होने की कोशिश करते हैं। भावनात्मक परेशानियों से जूझ रहा बच्चा एक बार इनका आदी हो जाए तो वह कई स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो जाता है। किशोर अथवा युवा होते बच्चे भी व्यायाम

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान स्वचालित तकनीकों को उन्हीं क्षेत्रों तक सीमित कर देना होगा जहां और कोई विकल्प संभव न हो या खतरे वाला काम हो। सूक्ष्म और कुटीर उद्योगों को गांव-गांव में स्थापित करना होगा ताकि गांवों से शहरों को रोजी की तलाश में पलायन न हो और शहर में झुग्गी बस्तियों

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अतः प्रश्न यह है कि आर्थिक पैकेज का बोझ उन विशेष वर्ग पर डाला जाना चाहिए जो ऊर्जा सघन माल का उपयोग करते हैं अथवा सामान्य नागरिक पर? मेरा मानना है कि इसकी वसूली ऊर्जा सघन माल का उपयोग करने वाले से ही की जानी चाहिए। ऐसा करने का दूसरा लाभ

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार मामला साफ था कि बच्चे की जान आतंकियों ने अपनी जान बचाने के चक्कर में ली थी। सेना के जवान उसको छुड़वाने की कोशिश करते रहे थे। इस फोटो का कैप्शन यह हो सकता था कि आतंकियों ने अपनी जान बचाने के चक्कर में बच्चे की जान ली। यह