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भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक मंडी से नालागढ़ तक के इस सफर के 45 वर्षों में काफी कुछ सुधरा है। हिमाचल में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक नहीं तीन सिंथैटिक टै्रक हैं। कई धावक-धाविकाएं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता हैं, कई राष्ट्रीय तकनीकी अधिकारी हैं। ऐसे में हम अपने धावक-धाविकाओं को अच्छा मंच तो

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अमरीका के दबाव में हमने ईरान के तेल मंत्री तक को टरका दिया। छप्पन इंच की छाती के बावजूद अब हम तेल महंगा भी ले रहे हैं और उसका भुगतान भी विदेशी मुद्रा में हो रहा है। यह ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं है कि देश के सिर पर मंडरा रहे

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   इन सरकारी अनुदानों के सकारात्मक प्रभाव सामने आए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कानसिन द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि सरकारी अनुदान से प्रत्याशियों की संख्या में वृद्धि हुई है। साथ-साथ निवर्तमान प्रत्याशियों के निर्विरोध चयन होने की एवं पुनः जीतने की संभावना में गिरावट आई है। यानी

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान   हिमाचल के संदर्भ में देखें, तो दो वर्ग आज तक मुख्य धारा की विकास प्रक्रिया से बिलकुल अछूते बने हुए हैं। इनमें एक हैं- घुमंतू विमुक्त जाति से संबंधित लोग और दूसरे हैं- वाल्मीकि समुदाय से जुड़े लोग। हिमाचल में घुमंतू विमुक्त जाति के लोग जिला चंबा और

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इस पारिवारिक महल को पहला आघात तो 2014 में ही लग गया था, लेकिन अभी तक इस परिवार को विश्वास था कि यह एक बार फिर भारतीयों को धोखा देने में कामयाब हो जाएंगे और भारत के लोग अपना भाग्य इन के हाथों में सौंप देंगे। सोनिया परिवार को

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार   राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का नारा देकर सबसे बुरा नारा गढ़ने का काम किया। इसी नारे पर जब बच्चों ने शोरोगुल किया तो नारे पर हंसकर प्रियंका गांधी ने भी बचकाना हरकत की। विरोधियों को आपत्तिजनक बातें कहना किसी भी तरह से विचार

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक   स्कूल स्तर पर अच्छे खिलाडि़यों के लिए प्रशिक्षण सुविधा का भी प्रबंध अनिवार्य रूप से होना चाहिए। सरकार को चाहिए कि शिक्षा विभाग के स्कूलों में हर बच्चे का बैटरी टेस्ट कम से कम त्रैमासिक स्तर पर लिया जाए और उसका रिपोर्ट कार्ड भी बनाया जाए। उसमें सुनिश्चित करवाया

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अगर सिस्टम ठीक हो, तो समाज के नब्बे प्रतिशत लोगों के ईमानदार बने रहने की संभावना होती है और यदि सिस्टम खराब हो, तो समाज के नब्बे प्रतिशत लोग भ्रष्ट और बेईमान हो जाते हैं। चुनाव आयोग तो बस एक उदाहरण है। देश की सभी संस्थाओं, यहां तक कि संवैधानिक संस्थाओं

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं   यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर बढ़ते सड़क हादसों के कसूरवार इन बस ड्राइवरों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं? क्या पुलिस और परिवहन अधिकारियों द्वारा सभी ड्राइवरों के वाहन परिचालन पर नजर रखी जा रही है? क्या यह जांचा भी जा रहा है कि कहीं