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बेटी के जन्म पर दुखी होने वालों को समझना होगा कि हम बेटों को बुढ़ापे का सहारा मानते हैं तो समाज में ऐसे बेटों की भी कमी नहीं है जिन्होंने मां-बाप के जीवन को नर्क बना दिया और ऐसी बेटियों की भी कमी नहीं है जिन्होंने अपने मां-बाप में से किसी एक के अकेले रह जाने पर उनको सहारा दिया, साथ दिया, प्यार दिया, बेटी के बजाय मां बनकर देखभाल की। गुरु नानक देव जी ने बहुत ही सटीक बात कही है - ‘सो क्यों मंदा आखिए, जिन जम्मे राजे’, यानी हम महिलाओं को नीची नजर से कैसे देख सकते हैं ज

उच्च शिक्षा में लड़कियों की बढ़ती संख्या का स्वागत करना चाहिए, लेकिन इस शिक्षा का उनके जीवन को हर लिहाज से बेहतर बनाने में क्या योगदान रहने वाला है, यह भी जानते रहना जरूरी है। आज निजीकरण के कारण महिलाओं केलिए उच्च शिक्षा इतनी महंगी होती जा रही है कि कोई गरीब आधी रोटी खाकर भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। इसका खामियाजा सबसे अधिक लड़कियों को उठाना पड़ रहा है। दरअसल समाज की यह हकीकत है कि लडक़ी को चाहे जितना शिक्षित कर लो,

आज दिन तक आवंटित भूमि पर हक हासिल करने के किए कई लोग मुकद्दमों में उलझे हुए हैं। जबकि परियोजना 70 के दशक में पूरी हो गई थी और पंजाब, राजस्थान को पानी और बिजली मिलने लग गई थी। किन्तु हिमाचल के हित आज तक फंसे हुए हैं। केंद्र सरकार को भी इस ओर ध्यान देकर निर्णय करवाना चाहिए, किन्तु वहां से भी चुप जैसी स्थिति क्यों बनी रहती है, समझ से परे है। ताजा मामला

अपनी ऋण जाल कूटनीति के माध्यम से चीन बीआरआई में भाग लेने वाले देशों से प्रमुख रणनीतिक संपत्ति और स्थान छीनने में सक्षम हो गया है। इसलिए इसे रोकने की जरूरत थी...

हम उम्मीद करें कि हाल ही में डब्ल्यूटीओ के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में जिस तरह भारत ने खाद्य सुरक्षा व एमएसपी का मुद्दा प्रभावी तरीके से उठाया है, उससे दुनिया के अन्य देशों का समर्थन बढ़ेगा और इसका स्थायी समाधान होगा। साथ ही हाल ही में लांच की गई बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना से लाभ मिलेगा...

तब उन्होंने ‘ममता बनर्जी’ वाला सूत्र अपनाया। शाहजहां को सीबीआई को नहीं दिया। जो करना हो, कर लो। सारा बंगाल देख रहा है। आखिर ममता बनर्जी शाहजहां को इस सीमा तक जाकर भी क्यों बचाना चाहती हैं? यह प्रश्न शेषनाग की तरह फन तान कर उसके सामने खड़ा है। ममता बनर्जी को किस बात का डर है? दूसरे दिन हाई कोर्ट फिर आदेश देता है। शाहजहां को बंगाल पुलिस की सुरक्षा से निकाल कर सीबीआई को सौंप दिया जाए। लगता है हाईब्रिड तक ममता सरकार के शाहजहां को बचाने के सारे हथियार खत्म हो गए हैं। आखिर शाहजहां सीबीआई की कस्टडी में पहुंच गया है। सुना है इसको लेकर ममता बहुत बड़ी रैली करने जा रही हैं

स्पिरिचुअल हीलिंग कोई जादू-टोना नहीं है, कोई अंधविश्वास नहीं है, बल्कि एक प्रभावी टूल है जो हमारे दिल, दिमाग और आत्मा से कूड़ा चुनकर उसे निर्मल बना देती है। स्पिरिचुअल हीलिंग की सबसे बड़ी खूबी यह है कि स्पिरिचुअल हीलर को आपकी उंगली भी छूने की आवश्यकता नहीं है और यह ऑनलाइन भी हो सकती है। मैं मीडिया घरानों का शुक्रगुजार हूं कि उनकी सीख के कारण परमात्मा ने मुझ पर कृपा की और स्पिरिचुअल हीलर बनकर समाज सेवा करने के काबिल हो सका। जीवन की यह समझ मुझे ‘दिव्य हिमाचल’ स

आज के विश्वविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयीय शिक्षा की अनेक समस्याएं हैं जिन पर शासन तथा शिक्षाविदों का ध्यान केंद्रित है। माध्यमिक स्तर पर शिक्षा के प्रसार के कारण विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है और प्रश्न यह है कि क्या विश्वविद्यालय उन सभी विद्यार्थियों को स्थान दें, जो आगे पढऩा चाहते हैं, अथवा केवल उन्हीं को चुनकर लें जो उच्च शिक्षा से लाभ उठाने में समर्थ हों? शिक्षा का माध्यम क्या हो, यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। शोध कार्य को प्रश्रय न देने की समस्या

हम उम्मीद करें कि भारत की नई पीढ़ी अपने डिजिटल कौशल और अपनी प्रतिभा से रोजगार और स्वरोजगार के मौकों को अपनी मुठ्ठियों में लेते हुए आगामी तीन-चार वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगी...