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पंजाब के मुख्यमंत्री राज बहादुर से माफी मांग कर इस प्रकरण को समाप्त करना चाह रहे हैं, लेकिन उसके विपरीत अन्य मंत्री और आम आदमी पार्टी का संगठन राज बहादुर के अपमान को पार्टी की विजय बता रहे हैं। पंजाब के प्रशासन पर बुरी तरह नियंत्रण किए बैठे केजरीवाल इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी धारण

हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह अपनी नई खेल नीति को कागजों से नीचे धरातल पर उतार कर उस पर अमल भी करना होगा। तभी हम प्रतिभा पलायन को रोक सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के विद्यालयों व महाविद्यालयों में अच्छी खेल सुविधाओं के साथ-साथ ज्ञानवान प्रशिक्षक व पौष्टिक आहार का भी प्रबंध करना पड़ेगा।

यदि दिल में होगा कि मैं फलां काम नहीं कर सकता, यह तो मेरी काबलियत से बड़ा है, या मेरी औकात से बड़ा है, तो सच मानिए, मैं सही कह रहा हूं क्योंकि सारी कोशिशों के बावजूद मैं उसे पूरा नहीं कर पाउंगा, और अगर मैंने सोच लिया कि मैं कर सकता हूं, तो मैं

ये विसंगतियां धीरे-धीरे पंचायती राज को कमजोर करने का काम करेंगी। इसके लिए ग्राम स्तरीय सूक्ष्म स्तरीय विकास योजना का कार्य सघन स्तर पर किया जाना चाहिए जिससे लगातार ग्रामसभा स्तर पर विकास की व्यापक समझ का प्रशिक्षण देकर नई प्रजातांत्रिक समझ के विकास के प्रयास होने चाहिए। सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय की समझ

ये नेता भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर लोकतंत्र की जड़ें खोद रहे हैं। अपने चहेतों को क्लीन चिट देने के लिए कानूनों व नियमों में फेरबदल किए जाते हैं। इसके उपरांत भी यदि जनता मूकदर्शक है, तो हालात बिगड़ेंगे ही। राजनीति और भ्रष्टाचार अपने देश ही नहीं, वरन् समूची दुनिया में एक-दूसरे का पर्याय बन चुके

कुल मिलाकर, हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के लिए यह एक गर्व की बात कही जा सकती है। ‘‘हिमाचल प्रदेश भूमि मुजारा व सुधार कानून’’ की धारा 118, पहाड़ी प्रदेश होने से निर्बाध कनेक्टेविटी की समस्या आदि बातें औद्योगिकरण के रास्ते में थोड़ी बाधा बन रही हैं, परंतु यदि सकारात्मक प्रयास जारी रहे तो वह दिन

इस कारण से भी दुनिया भर के निवेशक भारत की ओर रुख करने के लिए बाध्य हो जाएंगे। हालांकि आयात-निर्यात के बीच अभी बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है, लेकिन देश में बढ़ते हुए उत्पादन से यह अंतर घटने वाला है। लगातार बढ़ते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और मजबूत फंडामेंटल रुपए को मजबूती की ओर ले

जहां इस प्रकार की अनैतिक, अवैध तथा घृणित घटनाएं हमें मानवीय दृष्टि से शर्मसार करती हैं, वहीं पर ये घटनाएं हमें डर तथा भय के साये में जीने के लिए विवश करती हैं। इन घटनाओं की सामाजिक रूप से कड़ी निंदा की जानी चाहिए तथा समाज में ऐसी घृणित एवं गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने

चूंकि किसान अभी भी फसल बढ़ाने वाले कच्चे माल के लिए कर्ज पर काफी हद तक निर्भर हैं और किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुआत के बावजूद यह कर्ज आसानी से उपलब्ध नहीं है, ऐसे में इस कार्ड को ‘आजीविका क्रेडिट कार्ड’ में बदल दिया जाना उपयुक्त होगा। इससे किसानों को ऐसे साहूकारों के चंगुल से