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जब मुसलमानों ने हज़रत मोहम्मद के ही नवासों को कर्बला के मैदान में घेर लिया था और उन्हें अमानुषिक यातनाएं देकर मार दिया था, तब उन बेचारों ने कौनसी ऐसी क्रिया कर दी थी जिसकी प्रतिक्रिया में उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा था? उनका कसूर केवल इतना ही था कि वे मुसलमान शासकों

इसलिए देश में निजी खेल अकादमियों का चलन भी बढ़ रहा है। गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी के विश्व स्तर के परिणाम सबके सामने हैं। यह सब लगातार अच्छे प्रशिक्षण कार्यक्रम का ही नतीजा है। इस समय विभिन्न खेलों के लिए देश में निजी स्तर पर कई अकादमियां शुरू हो चुकी हैं। इन खेल अकादमियों को अधिकतर

यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि जब कोई हमें पसंद करने लगता है तो यह स्वाभाविक है कि हम भी उसे पसंद करने लग जाते हैं। कोई जुगत नहीं भिड़ानी पड़ती, कोई प्रयत्न नहीं करना पड़ता, बस हो जाता है। हां, जुगत तब भिड़ानी पड़ती है जब रिश्ता बनाना हो, जब यह सुनिश्चित करना हो

गुलेरी जी साहित्याकाश के वो ध्रुव तारा हैं जिनका लेखन कार्य आने वाली पीढि़यों के लिए सदैव प्रेरणादायी रहेगा… हिंदी साहित्य की 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध और 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक चरण का युग युगांतरकारी परिवर्तनों, परिवर्द्धनों और नव उत्थानात्मक दृष्टियों से सदैव स्मरणीय रहेगा। इस कालखंड में भाषा, साहित्य और रचना-शिल्प की दृष्टि से

गांवों तक हाईस्पीड इंटरनेट पहुंचाने वाली यह परियोजना जहां पूरे देश के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है, वहीं इसकी चुनौतियां भी बहुत अधिक हैं। प्रधानमंत्री जी की इच्छा को अमलीजामा पहनाने के लिए हमें ऐसी ही अनेक परियोजनाओं के ऊपर काम करना होगा… प्रधानमंत्री जी ने 30 जून को कहा है कि सरकार हर गांव को

चीन ने सन् 1962 में भारत पर हमला करके अपना असली चरित्र दिखा दिया था। देश की सरहदों पर चीन व पाक जैसे देशों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना के तीनों अंगों का युवा जोश व तकनीकशुदा अचूक मारक क्षमता वाले हथियारों से लैस होना जरूरी है… ‘जीत के बाद तिरंगा लहराकर

12वां सम्मेलन, ऐसा पहला सम्मेलन था जहां उन्हें विकासशील देशों के कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। इससे एक उम्मीद जगी थी कि टैरिफ अधिस्थगन आखिरकार खत्म हो जाएगा। लेकिन इस लड़ाई में भी हार हुई और लाभ, जो निकट दिख रहा था, फिर से विकासशील देशों के हाथों से निकल गया जो स्थगन को

देश में डिजिटल बुनियादी ढांचा कमजोर है। डिजिटल लेन-देन की बुनियादी जरूरत कम्प्यूटर और इंटरनेट बड़ी संख्या में लोगों की पहुंच से दूर हैं। वित्तीय लेन-देन के लिए बड़ी संख्या में लोग डिजिटल भुगतान तकनीकों से अपरिचित हैं… हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं, किसानों और उद्यमियों को कर्ज की सरल उपलब्धता सुनिश्चित

कहने को ऐसे लोग सरकारी कर्मचारी हैं, मगर उन्हें मिलने वाला वेतनमान इतना नहीं कि वे अपने परिवारों का सही जीवनयापन कर सकें… लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार की नीतियां सभी सरकारी कर्मचारियों पर एक समान लागू न होने की वजह से विरोध की चिंगारियां अक्सर फूट जाती हैं। वर्तमान समय में हालात इस कदर बन