डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

ज़ाहिर है केजरीवाल अपने सत्ता विस्तार के अभियान में पंजाब को एक सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलेगी, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन अपने इस प्रयोग में वे पंजाब को पुनः अराजकता के दलदल में धकेल देंगे… पंजाब में बहुत मुश्किल से पाकिस्तान की साजि़श को नाकाम करते

भारत को समझने के लिए अब कांग्रेस को यूरोप वाला आइडिया छोड़ देना चाहिए। वह युग समाप्त हो गया। राहुल गांधी ने शायद ध्यान नहीं दिया कि यूरोप तो खुद हिंदुस्तान वाले आइडिया की तलाश कर रहा है। यूरोप का आइडिया शोषण, एकाधिकार और दूसरों को परतंत्र बनाने का है। भारत ने दो सौ साल

कोई पूछ सकता है कि आज तो मीडिया मिशन न रह कर व्यवसाय बन गया है, इसलिए क्या नारद इसमें अप्रासंगिक नहीं हो गए? शायद नहीं, क्योंकि यदि मीडिया व्यवसाय भी है तब उसके भी तो कुछ मानक व आदर्श होने ही चाहिए। नारद से उस स्थिति और दशा में भी प्रेरणा ली जा सकती

मीडिया इस पूरे झगड़े को हिंदू पक्ष व मुस्लिम पक्ष का झगड़ा बता कर प्रचारित कर रहा है। यह झगड़ा दरअसल भारतीय पक्ष और एटीएम यानी भारत में रह रहे अरब, तुर्क व मुगल पक्ष का है। एटीएम शायद अभी भी इस भ्रम में जी रहा है कि भारत में अभी भी तुर्कों का राज

हालांकि फिल्म निर्माता सुधीर मिश्रा एक साक्षात्कार में इस बात से इंकार करते हैं कि यह वैचारिक फिल्म है। लेकिन साथ ही वह यह भी मानते हैं कि इस फिल्म में नक्सलवादियों के प्रति समर्थन है। नक्सलवादी जिस ढंग से हिंसा करते हैं, गला रेत कर हत्या करते हैं, जिस वर्ग की लड़ाई लडऩे का

पंजाब में विवाद छिड़ गया कि केजरीवाल ही पंजाब के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। इसके बाद दबाव बनने लगा कि आम आदमी पार्टी पंजाब में अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे। बेचारे केजरीवाल! जब तक हो सका, इससे बचते रहे। लेकिन जब चुनाव की तिथि सिर पर ही आ गई तो लगा कि कहीं मुख्यमंत्री

लेकिन लाल कि़ला के ऐन सामने खड़े होकर चुनौती देना, जहां से अधर्म की विषबेल फल-फूल रही थी, वहीं जाकर अधर्म को ललकारना और अपने हर हालत में अन्याय से लड़ते रहने के अपने धर्म का पालन करना कितना मुश्किल था, शायद इसको आज अनुभव करना सम्भव नहीं है। काल महाबली माना जाता है। वह

अब बचा था एक अंतिम प्रश्न, इंडिया गेट की कानोपी का क्या किया जाए? कांग्रेस की सरकार को इस बात का धन्यवाद देना होगा कि कम से कम उसने उसे वहां से हटा दिया था। यदि न भी हटाती और उसे भारत का ही महान सम्राट घोषित कर राजपथ का नामकरण उसके नाम पर जार्ज

बारामूला के उस व्यक्ति ने फरीदकोट में मस्जिद के लिए सारी अदायगी की। केरल में जब इस संस्था के व्यवसाय की जांच हो रही थी तब जाकर सारा भेद खुल कर सामने आया और षड्यंत्र के तार बरास्ता कश्मीर पंजाब तक जुड़े हुए हैं। लेकिन यह तार यहीं तक सीमित नहीं हैं। अमृतसर के आसपास