लेकिन लाल कि़ला के ऐन सामने खड़े होकर चुनौती देना, जहां से अधर्म की विषबेल फल-फूल रही थी, वहीं जाकर अधर्म को ललकारना और अपने हर हालत में अन्याय से लड़ते रहने के अपने धर्म का पालन करना कितना मुश्किल था, शायद इसको आज अनुभव करना सम्भव नहीं है। काल महाबली माना जाता है। वह
अब बचा था एक अंतिम प्रश्न, इंडिया गेट की कानोपी का क्या किया जाए? कांग्रेस की सरकार को इस बात का धन्यवाद देना होगा कि कम से कम उसने उसे वहां से हटा दिया था। यदि न भी हटाती और उसे भारत का ही महान सम्राट घोषित कर राजपथ का नामकरण उसके नाम पर जार्ज
बारामूला के उस व्यक्ति ने फरीदकोट में मस्जिद के लिए सारी अदायगी की। केरल में जब इस संस्था के व्यवसाय की जांच हो रही थी तब जाकर सारा भेद खुल कर सामने आया और षड्यंत्र के तार बरास्ता कश्मीर पंजाब तक जुड़े हुए हैं। लेकिन यह तार यहीं तक सीमित नहीं हैं। अमृतसर के आसपास
चौथा तरीका सुभाष चंद्र बोस का था, जो कांग्रेस के कार्य करने के तरीके से असंतुष्ट थे। उन्होंने विश्व में ब्रिटेन की विरोधी शक्तियों से तालमेल बिठा कर भारत से ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ने के लिए ब्रिटेन सरकार द्वारा गठित की गई भारतीय सेना में कार्य कर रहे भारतीयों से तारतम्य बिठा कर सेना में
दि कश्मीर फाइल्स ने कश्मीर के हिंदू-सिखों को वही आज़ादी दी है। इतने दशकों बाद भी बालीवुड यह आज़ादी देने को तैयार नहीं था। वह सैयदों द्वारा कश्मीर के अरबीकरण को ही बोलने की आज़ादी बता रहा था। जो लोग कह रहे हैं कि इस फिल्म से हिंदू-मुस्लिमों में दरार चौड़ी हो जाएगी, वे देश
कर्नाटक उच्च न्यायालय का कहना है कि कुछ अदृश्य शक्तियां देश में अस्थिरता पैदा करना चाहती हैं। सवाल है कि उनका मालिक कौन है… कुछ दिन पहले स्कूल की वर्दी पहनने के स्थान पर हिजाब पहनने की जि़द पर कर्नाटक में कुछ लड़कियां उच्च न्यायालय पहुंच गई थीं। उनका कहना था कि हिजाब पहनना इस्लाम
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस का विकल्प बनने की स्थिति में थी ही नहीं। उसका बदल अकाली पार्टी ही हो सकती थी। लेकिन आम आदमी पार्टी ने अकाली दल से वह अवसर छीन लिया है। केवल अवसर ही नहीं छीना, बल्कि उसकी हालत कांग्रेस से भी बदतर कर दी है। बादल परिवार के सभी
यह ठीक है कि उसने हमदानी को एक सीमा से आगे नहीं बढ़ने दिया, लेकिन फिर भी उसने हमदानी के कहने पर अपनी एक पत्नी को तलाक दे दिया। कुतुबुद्दीन ने दो सगी बहनों से विवाह किया हुआ था। हमदानी का मानना था कि दो सगी बहनों से शादी शरीयत के खिलाफ है। इसे भी
लगता है इस बार के चुनावों में केजरीवाल ने फिर इधर-उधर सांठगांठ करनी शुरू कर दी, जिसके कारण कुमार विश्वास को उस बंद हो चुके अध्याय को फिर से खोलना पड़ा। यह पहली बार पता चला कि पिछली बार सत्ता के लिए केजरीवाल कितनी दूर तक जाने को तैयार थे। यदि केजरीवाल अलगाववादियों के बलबूते