डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

लालू ने कहा था कि ‘राहुल बाबू, उम्र बढ़ रही है, दुनियादारी तो चलती रहती है। अब शादी करा लो और घर गृहस्थी बसा लो।’ कहीं इसका यह अर्थ तो नहीं कि राजनीति तुम्हारे बस का खेल नहीं है। अपना परिवार ही बना लो। लालू ने तो यह बात आज कही है, लेकिन लगता है

गीता प्रेस के संस्थापक के लिए यह जरूरी क्यों करार दिया जाए कि गांधी से हर मामले में सहमत होना पहली और अंतिम शर्त है। गीता प्रेस का विरोध करने वाले अब अंतिम हथियार चलाते हैं कि गांधी हत्या के षड्यंत्र में शक की सुई प्रेस के कुछ लोगों पर भी घूम रही थी। सावरकर

महाराजा दाहिर सेन ने इतिहास की उज्ज्वल परम्परा की रक्षा करते हुए रणभूमि में लड़ते-लड़ते प्राण त्याग दिए। मोहम्मद बिन कासिम ने उन्हें आत्मसमर्पण करने का अवसर भी दिया, लेकिन दाहिर सेन ने शहादत का रास्ता ही चुना। उसके बाद लड़ाई का मोर्चा उसकी पत्नी महारानी लाडी ने संभाला। अब अरब सैनिक हैरान थे। उन्होंने

गुलाब सिंह ने जम्मू के पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों को एक प्रशासन के नीचे लाने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद लाहौर दरबार आपसी कलह से कमजोर हो गया। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने पंजाब पर कब्जा कर लिया। उस समय सारा पंजाब जो मोटे तौर पर सप्त सिन्धु के सम्पूर्ण क्षेत्र

पंजाबी में एक कहावत है ‘डिगी खोते तों ग़ुस्सा घुमार ते’। अर्थात कोई औरत गधे पर से गिर पड़ी तो वह सारा ग़ुस्सा कुम्हार पर निकालने लगी। इन राजवंशों के सिंहासन भारत के लोगों के नकारने से हिल रहे हैं और ये ग़ुस्सा नरेन्द्र मोदी पर निकाल रहे हैं। इस बार यह ग़ुस्सा भारतीय संसद

यह ठीक है कि सरकारें बर्मा से नाजायज तौर पर आने वाले कूकी समुदाय को मणिपुर के पहाड़ों पर कब्जा करते देखती रही और सोई रही। चर्च चुपचाप जंगलों में चर्च व भवन बनाता रहा। लेकिन हाल ही में जो तूफान मणिपुर में उठा, उसका कारण क्या है? दरअसल मणिपुर उच्च न्यायालय ने मार्च 2023

जाहिर है इमरान खान को भुट्टो समझ लेने की भूल नहीं की जानी चाहिए। माऊंटबेटन को शायद पहले से ही पता था कि पाकिस्तान का धरातल कमजोर है। इसीलिए वे जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान को देकर उसे सशक्त बनाना चाहते थे। उसके षड्यंत्र को पहले मरहले में महाराजा हरि सिंह ने फेल किया। अब दूसरे मरहले में

परिवार के प्रति वितृष्णा का यह भाव लड़कियों को परिवार से तोड़ता है तो लव जिहाद का खेल खेल रहा एजेंट उसको लपक लेता है। बाद में उनसे शादी का ड्रामा किया जाता था। उसके बाद उन्हें इस्लाम में मतांतरित किया जाता था। मामला इतने पर ही समाप्त नहीं होता था। कहा जाता है कि

इतना निश्चित है कि जालंधर लोकसभा का चुनाव परिणाम पंजाब की राजनीति पर छाई धुंध को बहुत सीमा तक दूर कर सकेगा। भाजपा के लिए यह चुनाव परिणाम बहुत महत्त्वपूर्ण है। देखना होगा ऊंट किस करवट बैठता है… पंजाब में भाजपा ऊहापोह की स्थिति में है। अकाली दल से समझौते से पूर्व जनसंघ/भारतीय जनता पार्टी