डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

हैरत की बात यह है कि आम आदमी पार्टी की सरकार मूसेवाला की निर्मम हत्या के बाद भी गैंगस्टरों पर काबू नहीं पा सकी। उसके पिता ने सार्वजनिक रूप से नाम लेकर कुछ लोगों के नाम लिए लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगी। सरकार के इस व्यवहार से आम आदमी पार्टी पर ही

राहुल गांधी से कम से कम यह तो नहीं ही कहलवाना चाहिए था कि यूरोप और अमेरिका भारत की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करें। कांग्रेस पार्टी पर पहले से ही यह आरोप लगता आया है कि इसकी स्थापना एक अंग्रेज ने ब्रिटेन के सांस्कृतिक व राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए की थी। आज राहुल

आम आदमी पार्टी का कष्ट ईमानदारी का मुलम्मा उतर जाने का है और सोनिया कांग्रेस का कष्ट तमाम प्रयासों के बावजूद राहुल गांधी की मैच्योर व्यक्ति की छवि न बन पाना है। उनको पार्टी के सलाहकारों ने अडानी का झुनझुना दे दिया कि इसे बजाते रहो, इससे लोग भाजपा के खिलाफ हो जाएंगे। पिछली बार

इसके अध्ययन के बाद आधुनिक काल में इस भेदभाव को खत्म करने के लिए सामाजिक चेतना की जरूरत है… पिछले दिनों मुम्बई में संत शिरोमणि रविदास जी की जयन्ती पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत जी ने कहा कि रविदास जी जिस मार्ग पर चल रहे थे, उसका अपने वक्त

वैसे पार्टी में सभी को उनकी हैसियत बताने के लिए वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने इसके लिए ‘राम की खड़ाऊं’ वगैरह का उदाहरण भी दिया। इसके साथ ही राहुल गांधी कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की पद यात्रा करने के लिए घर से निकले। इसका भी उद्देश्य यही था कि लोग राहुल गांधी को भी

इसलिए गुलाम नबी का कहना है कि यदि कब्जा छुड़ाओ अभियान बंद न किया तो लोग सडक़ों पर निकल आएंगे और फिर पत्थरबाज़ी का युग शुरू हो जाएगा। इसका अर्थ है गुलाम नबी शुरू से जानते हैं कि पत्थरबाज़ों का नियंत्रण कहां से होता है और उन्हें कब-कब मैदान में उतारना है। लेकिन इस बात

पहले चरण को सफलतापूर्वक निपटा लेने के बाद एटीएम ने देसी मुसलमान को नियंत्रित करने के लिए अपने ही मूल के विदेशी आतंकियों की सहायता ली, लेकिन दूसरे चरण में बहुत से देसी मुसलमानों को अपने साथ जोड़ लिया। जिन देसी मुसलमानों ने इसका विरोध किया, उनकी भी हत्या कर दी गई… मतांतरित होने के

गोवा को पुर्तगाली साम्राज्यवादियों से मुक्त करवाने के लिए भारतवासियों को अपने ही देश की सरकार से लडऩा पड़ा, यह इतिहास की किताबों में से गायब है। पंडित जवाहर लाल की सरकार उन सत्याग्रहियों पर गोलियां चला रही थीं जो गोवा की आजादी के लिए पुर्तगाली शासन के खिलाफ मोर्चा लगा रहे थे। राम मनोहर

भारतीय देसी मुसलमान भी एटीएम की इस दुर्भावना को पकड़ नहीं पा रहे हैं। ताज मोहम्मद एटीएम की इसी दुर्भावना पर व्यंग्य कसते हुए लिखते हैं, ‘ये सैयद साहिब हालांकि अपनी अपील में मुसलमानों के बीच जाति विशिष्टता के खिलाफ दलील देते दिखाई पड़ते हैं परंतु व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने स्वयं अपने