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 -गतांक से आगे… भग-रूपा भग-स्थात्री भगनी भग-रूपिणी। भगात्मिका भगाधार-रूपिणी भग-मालिनी।। 118।। लिंगाख्या चैव लिंगेशी त्रिपुरा-भैरवी तथा। लिंग-गीतिः सुगीतिश्च लिंगस्था लिंग-रूप-धृव् ।। 119।। लिंग-माना लिंग-भवा लिंग-लिंगा च पार्वती। भगवती कौशिकी च प्रेमा चैव प्रियंवदा।। 120।। गृध्र-रूपा शिवा-रूपा चक्रि.णी चक्र-रूप-धृव्। लिंगाभिधायिनी लिंग-प्रिया लिंग-निवासिनी।। 121।। लिंगस्था लिंगनी लिंग-रूपिणी लिंग-सुंदरी। लिंग-गीतिमहा-प्रीता भग-गीतिर्महा-सुखा।। 122।। लिंग-नाम-सदानंदा भग-नाम सदा-रतिः। लिंग-माला-वंसठ-भूषा भग-माला-विभूषणा।। 123।।

जवाली के राजमहल, नौण और लक्ष्मीनारायण मंदिर आज भी अपनी प्राचीन गाथा को उजागर करते हैं। जवाली की स्थापना गुलेर रियासत के राजा ने 1730 ई. के आसपास की थी। ऐसा कहा जाता है कि गुलेर के तत्कालीन राजा गोवर्धन सिंह ने अपनी रानी जवाला को यहां बसाया था। इसी कारण इस कस्बे का नाम

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। श्री राम जिन्होंने अपने पिता के कहने पर 14 साल का वनवास स्वीकार किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीराम को ये वनवास राजा दशरथ के एक वचन के कारण लेना पड़ा था, जो उन्होंने अपनी पत्नी कैकेयी

मुकाम्बिका कर्नाटक के उडुपी जिले के कोल्लूर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसकी गिनती दक्षिण भारत के चुनिंदा प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में होती है। कोल्लूर पश्चिमी घाट की तलहटी में बसा है और धार्मिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। यह मंदिर शक्ति को समर्पित है, जिनकी पूजा श्री मुकाम्बिका

विटामिन सी के अच्छे स्रोत ताजे फल और सब्जियां हैं, खासकर खट्टे फल। विटामिन सी को केमिकल के जरिए लैब में भी बनाया जा सकता है। विटामिन सी को एस्कॉर्बिक एसिड के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए अति आवश्यक पोषक तत्त्वों में

खांसी एलर्जी, वायरल संक्रमण या बैक्टीरियल जैसी कई स्थितियों का लक्षण हो सकता है। इसलिए इसका इलाज करना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम बहुत  कमजोर होता है… मौसम बदलते ही बच्चों में एक समस्या सामान्य तौर पर देखी जाती है। उस समस्या का नाम है खांसी।  वैसे आपको बता दें कि

सुमतेस्तेजसत्सस्मादिन्ब्रद्यु म्नो व्यजावत। परमेष्ठी ततस्तस्मात्प्रहारस्तदन्बयः। प्रतिहतंति विख्यात उत्पन्नन्तरय चात्मजः। भवस्तस्मादथोद्गीथः प्रस्ताबस्तस्तत्सतो विभुः। पथुस्ततस्तोत नक्को नत्तस्यापि गयः सुतः। नरो गयस्य तनयस्तत्पुर्त्रोंऽभूद्विराट ततः। तस्य पुत्रो वहावीर्यो धीमांस्तस्यामदजायनः। महान्तस्तत्सुतश्चाभून्मनस्युस्तस्त चात्मजः। त्वस्या त्वष्टुश्च विरजो रजस्तस्वाप्यभूत्युतः। शतजिद्रजसस्तस्य यज्ञे पुत्रशल मुने। विष्वरज्योतिः प्रधानास्ते यैरिमा वर्द्धिता प्रजाः। तैरिद भारत वर्ष नवभेदमङकृतन तेषां वंशप्रसूयैश्च भुक्तेय भारती पुरा। कृत्रत्रे तादिसर्गेण युगाख्यामेकसप्ततिम्। एष स्वाययभ्भुव सर्गो

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डा. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं ‘चिंता’ पर उनके विचार… -गतांक से आगे… लोग इकट्ठे

गतांक से आगे… जिनका चित्त पूर्णतया निर्मल नहीं है, वे मेरे दर्शन के अधिकारी नहीं हैं। यह एक झांकी मैंने तुम्हें कृपा करके इसलिए दिखलाई है कि इसके दर्शन से तुम्हारा चित्त मुझमें लग जाए। अगले जन्म में तुम मेरे पार्षद बन कर मुझे पुनःप्राप्त करोगे। मुझे प्राप्त करने का तुम्हारा यह दृढ़ निश्चय कभी