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प्रीटि जिंटा जन्मदिन 31 जनवरी, 1975 प्रीटि का जन्म शिमला, हिमाचल प्रदेश में  31 जनवरी, 1975 स्थित रोहड़ू में हुआ था। उनके पिता दुर्गानंद जिंटा भारतीय थलसेना में अफसर थे। जब वह 13 वर्ष की थी तब उनके पिता एक कार दुर्घटना में चल बसे और उनकी मां निलप्रभा, को गंभीर चोंटें आईं जिसके चलते

कई छोटे-छोटे देवी-देवता हिंगरते हैं। हुल्की या हुडक, खंजरी गाने वाले भी झूम-झम कर नाचते रहते हैं। यह इष्ट देव से रक्षा के लिए घर में ही आयोजित होता है। मनोरंजन का सामान्य क्रम नहीं होता। यह किसी कार्य की सफलता की मानता होती है। द्रौढ़ी हरिजनों में देव आराधना हेतु देव-यज्ञ माना जाता है…

कोहरा ठंडी आर्द्र हवा में बनता है और इसके अस्तित्व में आने की प्रक्रिया बादलों जैसी ही होती है। गर्म हवा की अपेक्षा ठंडी हवा अधिक नमी लेने में सक्षम होती है और वाष्पन के द्वारा यह नमी ग्रहण करती है। यह वह बादल होता है जो भूमि के ऊपर हवा में ठहरा हुआ हो

डा. जेएन शर्मा अनुसंधान  निदेशक  वानिकी एवं बागबानी विवि नौणी बागबानी में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने जेएन शर्मा से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश… बागबानी में युवाओं के लिए करियर का क्या स्कोप है?  इस आधुनिक युग में बागबानी को लेकर अपार सभावनाएं हैं । आज

प्राचीनकाल से ही इनसान की इच्छा रही है कि वह मुक्त आकाश में उड़े। इसी इच्छा ने पतंग की उत्पत्ति के लिए प्रेरणा का काम किया। कभी मनोरंजन के तौर पर उड़ाई जाने वाली पतंग आज पतंगबाजी के रूप में एक रिवाज, परंपरा और त्योहार का पर्याय बन गई है।  * भारत में भी पतंग

उदय वर्मन ने अपने संबंधी भिक्षाचर का साथ छोड़कर तत्काल कश्मीर के राजा सुस्सल का साथ दिया और वह 1122 ई. में उसके पक्ष में भिक्षाचर से लड़ा। उसने अपनी दो पुत्रियों, देवलेखा और तरललेखा का विवाह सुस्सल से किया… गतांक से आगे … धला वर्मन (लगभग 1118 ई.) :  यह जयष्ट वर्मन का भाई

पीपल के पेड़ का धर्मशास्त्रों में सबसे ज्यादा महत्त्व बताया गया है। इस एक पेड़ को मुक्ति के लाखों करोड़ों उपायों के समकक्ष निरूपित किया है। गीता में भी श्रीकृष्ण ने पीपल को श्रेष्ठ कहा है। वनस्पति जगत में पीपल ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जिसमें कीड़े नहीं लगते हैं। यह वृक्ष सर्वाधिक आक्सीजन छोड़ता

प्रिया एक बुद्धिमान और समझदार बालिका थी। अपने माता-पिता की इकलौती बेटी होने के कारण उसे सदैव खूब लाड़-प्यार मिलता था। खेल और पढ़ाई में प्रिया की खास रुचि थी। उसका परिवार एक छोटा परिवार था, जिसमें वह अपने मां और पिताजी के साथ रहती थी। प्रिया पापा के साथ बैठकर पढ़ती तो खेल में

एक सेना की टुकड़ी जनरल ब्हीलर के नेतृत्व में रामसिंह को पकड़ने आई। रामसिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध कई दिनों तक गुरिल्ला युद्ध जारी रखा, जिसके कारण अंग्रेजी सेना को भारी क्षति पहुंची। अंग्रेजों ने राम सिंह को तीनों ओर से घेर लिया। घमासान युद्ध हुआ। राजपूत वीरता से लड़े।… गतांक से आगे … साहसी