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गर्भेषु सुखलेशोऽपि भवद्दिनुमीयते। यदि यत्कथ्यतोमेव सर्व दुःखमय जगत्। तदेवमति दुःखायामास्पदेऽत्र भवार्णवे। भवतां कथ्यते सत्यं विष्णुरेकः परायणः। माजानीय वयं वाला देही देहेषु शाश्वतः। जरायोवनजन्माद्या धर्मा देहस्य नात्मनः। बालोऽहं तावदिच्छातो यतिष्ये श्रेयसे युवा। युवाहं वार्द्ध के प्राप्ते करिष्याम्यात्मनो हितम्। बद्धोऽहं मम कार्याणि समस्तानि न गोचरे। किं करिष्यामि मन्दात्मा समर्थेन न यत्तम। एव दुराशया क्षिप्तमानसः पुरुषः सदा। श्रेयसोऽभिमुख

स्वामी रामस्वरूप चारों वेदों में और यहां वेदों के आधार पर श्रीकृष्ण महाराज ने प्रकृति को अव्यक्त कहा है। अव्यक्त का अर्थ है जिसका स्वरूप व्यक्त नहीं किया जा सकता, जो आंखों से देखा नहीं जा सकता इत्यादि। जिस प्रकार परमात्मा और जीवात्मा अति सूक्ष्म है और ये दोनों तत्त्व भी अव्यक्त हैं उसी प्रकार

श्रीश्री रवि शंकर ध्यान वास्तव में विश्राम का समय है, इसलिए इसे अपनी सुविधा के अनुसार करें। ऐसा समय चुनना चाहिए जब एकांत हो और आपको किसी प्रकार की जल्दी नहीं हो। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय जब प्रकृति दिन और रात में परिवर्तित होती है, यह समय ध्यान का अभ्यास करने लिए सबसे आदर्श

बाबा हरदेव अहंकारी मनुष्य किसी से सलाह लेते समय डरता है घबराता है। यह अकसर अपनी उलझन स्वयं ही सुलझा लेना चाहता है। हालांकि ज्यों-ज्यों मनुष्य इन उलझनों को स्वयं सुलझाने की कोशिश करता है यह और उलझता जाता है। यहां तक कि यह भी स्वीकार करने में कि यह उलझा हुआ है। इसके अहंकार

प्राचीन काल में एक बड़े सदाचारी राजा थे जीमकेतु। उनके राज्य में सभी बिना किसी चिंता के निवास करते थे। पूरी प्रजा सुखी एवं संपन्न थी। जीमकेतु ने अपने सामर्थ्य से अतुल धन संचित किया। उसकी वीरता और संपन्नता के कारण आसपास के राज्य में उसका कोई शत्रु न रहा। समस्त जगत में उसकी प्रशंसा

ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर अंतरिक्ष जीवों का आना-जाना लगा रहता है। यह स्थान उनका गुप्त स्थल है। ऐसा भी कहा जाता है कि यहां से अंतरिक्ष यान बहुत आसानी से दिख जाते हैं… दुनिया में भारत ऐसा देश है जो कि अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता है। भारत में सबसे

* गलतियां करनी चाहिएं, इससे सीख मिलती है, लेकिन इतना भी मत करो कि सीखने में जीवन ही निकल जाए * जितना हो सके गुस्सा कम किया करो, गुस्सा इनसान को सफल होने से रोकता है * चिंता एक ऐसी बीमारी है, जो इनसान को अंदर से ही खा जाती  है और इनसान टूट जाता

मानसून में बारिश का मजा सभी लेते हैं, लेकिन  इस मौसम में आप अपने स्वास्थ्य को लेकर हल्की सी भी असावधानी बरतते हैं, तो बीमारियों को न्योता दे सकते हैं। इस मौसम में बरसाती पानी  के संपर्क में आने से त्वचा की एलर्जी हो सकती है। एलर्जी का सबसे बड़ा कारण पर्यावरण में एलर्जी फैलाने

धर्मराज के ऐसे वचन सुनकर कार्तिक तथा नारदजी को चिंता होने लगी कि जिस तीर्थ को सबसे महानता प्राप्त है, उसका नाश हो ये किसको अच्छा लगे, फिर इस बात में इस दोष भी क्या था ब्रह्माजी ने प्रश्न किया था और जब उसका किसी ने उत्तर न दिया, तब ही इसने उत्तर दिया था…