मैगजीन

माता बालासुंदरी 51 शक्तिपीठों में से एक है। सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से केवल 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माता बालासुंदरी का आकर्षक व भव्य मंदिर वर्ष भर श्रद्धालुआें को अपनी ओर खींचता है। त्रिलोकपुर मंदिर में प्रतिवर्ष नवरात्र के दौरान लगने वाले मेलों में पूरे उत्तर भारत में लाखों की संख्या में श्रद्धालु

बालाजीपुरम का मुख्य मंदिर 111 फुट ऊंचा और साढ़े 10 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। मंदिर में मुख्य रूप से रुकमणि, महादेव मंदिर के अलावा 40 से अधिक देवता स्थापित हैं… मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में सतपुड़ा की वादियों के बीच बने मंदिर बालाजीपुरम को भारत के पांचवें धाम के रूप में देखा

योग के बहुत से फायदे हैं और योग आसन के जरिये हम स्वस्थ शरीर के मालिक बन सकते हैं। आज हम आपको नटराज आसन के बारे में बताएंगे। जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि यह भगवान शिव के नटराज रूप की तरह ही किया जाता है। इस आसन के बहुत सारे

सम्मिलित कुटुंब प्रथा कितनी लाभदायक एवं उपयोगी है, इसके विवेचन की आवश्यकता नहीं है।  इसकी इतनी उपयोगिता देखकर ही समाज में इसका प्रचलन हुआ था। अब भी कोई व्यक्ति अपने परिवार से पृथक होने की मांग करता है तो वह स्वार्थी समझा जाता है। जो लोग शामिल रहते हैं, वे उदार दृष्टिकोण के सतोगुण प्रधान

केवल परीक्षा के समय ही नहीं बल्कि दिमाग का हर समय सक्रिय होना जरूरी है। इसके लिए आप खान-पान से लेकर अन्य कई तरीके भी आजमाते हैं ताकि बच्चों का दिमाग तेज हो और वे हर परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करें। जानिए आसान और प्रभावकारी तरीके, जो दिमाग तेज करने में मदद करते हैं। दिमाग

हंसमुख व्यक्ति अवसाद, मानसिक तनाव,अनिद्रा व नकारात्मक सोच से बचा रह सकता है। दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छांव की भांति आते-जाते हैं।  यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हंसमुख रहे तो उसका मन सदैव काबू में रहता है व वह चिंता से बचा रह सकता है। आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति

इति पूर्व बशिष्ठेन पुलस्त्येन च धीमता। यचुक्त तत्स्मूति याति त्वत्प्रश्नादिखलं तम। सोऽहं वदाम्ययेष ते मैत्रेय परिपृच्छते। पुराणासहितां सम्यकता निबोध यथातथम्। विष्णोः सकाशादुद्भुत जगत्तत्रैव च स्थितम। स्थितिसंयकर्त्तासौ जगतौऽयं जगच्च सः। हे मैत्रेय! पूर्वकाल में बशिष्ठ जी और बुद्धिमान पुलस्त्य जी ने इस प्रकार जो कहा था, वह सब इस समय तुम्हारे प्रश्न करने से मुझे स्मरण

मनुष्य को औरों की अपेक्षा अधिक बुद्धि, विद्या, बल और विवेक मिला है, यह बात तो समझ में आती है, किंतु इन शक्तियों का संपूर्ण उपयोग बाह्य जीवन तक ही सीमित रखकर उसने बुद्धिमत्ता से काम नहीं लिया। अपने ज्ञान-विज्ञान को शारीरिक सुखोपयोग के निमित्त लगा कर उसने धोखा ही खाया है… मनुष्य को अपना

सारे प्राचीन मंदिर सिर्फ शिव के ही थे, क्योंकि उन लोगों ने मंदिर आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए बनाया, किसी के कल्याण या अपनी बेहतरी के लिए मंदिर नहीं बनाया गया था। अगर आप संपन्न होना चाहते हैं, तो जमीन को जोतिए, उसमें हल चलाइए, बीज डालिए और संपन्न हो जाइए। अगर आप खुद को मिटाना