कम्पीटीशन रिव्यू

भारत को बाहरी आक्रमणों से बचाने के साथ-साथ यह देश के मौसम व वनस्पति पर भी  गहरा प्रभाव डालता है। इसमें जड़ी बूटियों का अपार भंडार है। हिमाचल प्रदेश को पूर्ण रूप से  समझने के लिए जरूरी है इसकी प्राकृतिक संपन्नता को जानना , जिसमें शामिल हैं पर्वत घाटियां,  नदियां, झीलें, दर्रे, हिमनद तथा जलवायु

संघ लोक सेवा आयोग संघ  लोक सेवा आयोग द्वारा निम्न पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। पद –  असिस्टेंट प्रोफेसर, सिविल हाइड्रोग्राफिक आफिसर, स्पेशलिस्ट ग्रेड-तीन। रिक्तियां – 23. शैक्षणिक योग्यता – पदों के अनुसार अलग-अलग निर्धारित। आयु सीमा – अधिकतम 30/35/40/50/55 वर्ष पदानुसार। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि- 28 दिसंबर, 2017. आवेदन शुल्क –

खुद में परिवर्तन और सुधार लाने के बारे में विचार करें।  कोई भी संकल्प हो सकता है, जिसे लोग नव वर्ष के अवसर पर करते हैं, जैसे कि धूम्रपान छोड़ देना और वजन कम करने वाले बड़े वादे आदि… नया साल आने को है और जाहिर सी बात है कि लोग नए संकल्प लेते हैं

बिज्ज्ट, जिसे बिजली के देवता के रूप में पूजा जाता है, का भी श्रीगुल से संबंध है। लोक गाथा के अनुसार जब अग्नयसुर और अन्य दैत्यों ने चूड़धार पर आक्रमण किया, तो बिज्ज्ट देवता (बिजली के रूप में) उन पर टूट पड़ा और उस समय सरांह में धरती पर एक मूर्ति पड़ी मिली… हिमाचल में

जालंधर (त्रिगर्त) का राजा उदित स्वयं बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसके राज्य में ही हीनयान और महायान दोनों मतों के मानने वाले थे। कुलूत में केवल महायान मत का ही जोर था। इसी प्रकार शतद्रु स्त्रुध्न और ब्रह्मपुर (कुमांऊ अलमोड़ा) में भी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे… पूर्व मध्यकालीन हिमाचल प्रजा के कथनानुसार हिमालय

हिमाचल के मेले- त्योहार यह व्रत पतियों की रक्षा के लिए किया जाता है। इसे लड़कियां भी करती हैं, जिससे उन्हें अच्छा पति प्राप्त हो। इस व्रत के बारे में लोक गाथा इस प्रकार है कि पार्वती ने शिवजी को प्राप्त करने के लिए भक्ति की,  परंतु उसके पिता हिमालय ने विष्णु से उसके विवाह

ब्यास  और चौंच नदियों के संगम पर इंदौरा से सात किलोमीटर की दूरी पर काठगढ़ गांव स्थित है। यह मुगल शैली में बना एक पुराना मंदिर है जिसमें छह फुट लंबा और 5 फुट गोलार्द्ध की शक्ल का शिवलिंग है… कुल्लू सबसे अधिक रमणीक और सुंदर कुल्लू घाटी ने ब्यास नदी के दोनों ओर अपनी

महात्मा गांधी की अध्यक्षता में सर्वदलीय सम्मेलन गतांक से आगे… कांग्रेस ने इस अधिनियम को अपर्याप्त, असंतोषजनक और निराशाजनक बताया और आग्रह किया कि भारत  में शीघ्र्र ही आत्मनिर्णय के सिद्धांत के आधार पर पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना की जाए। 1919 के अधिनियिम के विरोध में, स्वयं भारतीयों द्वारा भारत का संविधान अपनाने के