आस्था

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… मुंशी जी ने दिल ही दिल में सोचा ये तो साधारण से साधु दिखाई दे रहे हैं, इस तरह का वेश बनकर चोर, डाकू भी आ जाते हैं। इतने में स्वामी जी उठकर बैठ गए और बातचीत की शुरुआत हो गई। मुंशी जी ने आश्चर्य से देखते हुए पूछा स्वामीजी

* विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं, क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नहीं हो पाता। वो भयभीत हो जाते हैं * हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके * अगर आप खुद

सरसों का तेल गर्म करके उसमें थोड़ा सा लहसुन डालें या फिर थोड़े से मेथी के दानें डालें। इसे गुनगुना ही पैरों के तलवों पर मालिश करने से पैरों के दर्द में आराम मिलता है। ह्ल सीने की जकडऩ के लिए नारियल के तेल को गर्म करके उसमें लौंग डालकर सीने पर लगाया जा सकता

स्वामी रामस्वरूप यही ईश्वर की विचित्र रचना आदि देखकर सुनने वाला भी आश्चर्यचकित हो जाता है, यही श्लोक के भाव है। हम भगवद्गीता के अनुसार वेदाध्ययन, योगाभ्यास आदि द्वारा केवल इस ही निराकार परमेश्वर की पूजा करें अन्य की नहीं… गतांक से आगे… अत्यधिक आश्चर्य तो ईश्वर की अनुभूति करने वाले धर्ममेघ समाधि को प्राप्त

यदि कानों को लेकर किसी भी प्रकार की समस्या है या फिर कान के अंदर मैल भरा हुआ है तब आपको किसी ईएनटी डाक्टर के पास जाना चाहिए। कानों की सफाई के लिए कम से कम छह महीने से लेकर डेढ़ साल के बीच में डाक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए… हम अपनी आंखों और

श्रीश्री रवि शंकर तुम्हारा पूरा जीवन, हर सांस जो तुम लेते हो उपासना का एक रूप है। भक्ति का अर्थ है आदर एवं सम्मान के साथ प्रेम करना। महज आराधना भक्ति नहीं है। आराधना का अर्थ है किसी व्यक्ति के खास गुणों के कारण उनसे प्रेम करना। सत्य सदैव सहज होता है एवं वह सृष्टि

महाशिवरात्रि अथवा शिवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे शिव चौदस या शिव चतुर्दशी भी कहा जाता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है...

सीता रामायण और रामचरितमानस की मुख्य पात्र है। हिंदू धर्म में इनकी देवी के रूप में पूजा की जाती है। सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थी। इनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। इनकी स्त्री व पतिव्रता धर्म के कारण इनका नाम आदर से लिया जाता है।

पूरे देश में शिवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन हिमाचल जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, यहां के हर त्योहार की अपनी एक खास विशेषता और महत्ता है।