आस्था

भारत में कोरोना वायरस के बाद ज्यादातर लेडीज वर्क फ्रॉम होम काम कर रही हैं, इस सिलसिले में वे ऑनलाइन वीडियो मीटिंग्स/ चैट भी कर रही हैं। ऐसे में कैमरे को कान्फिडेंस के साथ फेस करते समय मन में प्रेजेंटेबल दिखने की चिंता होनी भी स्वाभाविक है। अगर आपको कम मेकअप के साथ फ्लॉलेस दिखना है तो इसके लिए मिनिमल मेकअप एक सॉल्यूशन है। इसमें स्किन से मैच करते शेड यूज किए जाते है। परफेक्ट लुक के लिए आंखें और होठों में से किसी एक के शेड को ब्राइट रखा जाता है।

अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। पुत्रवती महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। माताएं अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय अहोई माता का पूजन किया जाता है। तारों को करवा से अघ्र्य भी दिया जाता है। यह अहोई गेरू आदि के द्वारा दीवार पर बनाई जाती है अथवा किसी मोटे वस्त्र पर अहोई काढक़र पूजा के समय उसे दीवार पर टांग दिया जाता है।

धन्वंतरि जयंती कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है। इस दिन को भगवान धन्वंतरि, जो कि आयुर्वेद के पिता और गुरु माने जाते हैं, उनके जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि देवताओं के चिकित्सक हैं और भगवान विष्णु के अवतारों में से एक माने जाते हैं। धन्वंतरि जयंती को धनतेरस तथा धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है...

अजमेर से 11 किलोमीटर दूर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। पुष्कर में 52 घाटों के साथ एक अर्धवृत्ताकार झील है, झील की अधिकतम गहराई 10 मीटर है। यह एक पवित्र स्थान है और सभी तीर्थों के राजा के रूप में जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर इस झील में एक पवित्र डुबकी लगाई जाती है, जो सभी पापों को धोती है और मोक्ष की ओर ले जाती है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है। यह मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा के दिन महास्नान के साथ संपन्न होता है। पंचतीर्थ स्नान का धार्मिक मेला 23 से 27 नवंबर तक संपन्न होगा, जबकि इसके पहले चरण वाले पुष्कर पशु मेले के आयोजन में चुनावों के मद्देनजर कटौती कर दी गई है। इस बार पशु मेला 14 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर

भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन गिरिधारी की परिक्रमा मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है, जिसे राधाकुंड के नाम से जाना जाता है। इसके बारे में मान्यता है कि अगर नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी (कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी) की मध्य रात्रि को यहां एक साथ स्नान करें, तो उन्हें संतान प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि आज भी कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण रात्रि बारह बजे तक राधाजी के साथ राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं। इसलिए अहोई अष्टमी के दिन यहां अष्टमी मेला लगाया जाता है। अहोई अष्टमी का ये पर्व यहां प्राचीन काल से मनाया जाता है।

उत्तराखंड सितारगंज में नानकमत्ता एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर है, जो गुरुद्वारा नानक साहिब से जुड़ा हुआ है। असल में कैलाश पर्वत की यात्रा के समय गुरुनानक देव जी यहां पर आए थे। गुरुद्वारे के अंदर एक पीपल का पेड़ है। ऐसी मान्यता है कि यह पीपल का पेड़ गिरा हुआ था फिर गुरुनानक देव जी ने इसे अपने प्रताप और चमत्कार से पुन: खड़ा कर दिया। साथ ही खास बात यह है कि इस पीपल के पेड़ का आधार मतलब जडेंं़ पृथ्वी पर नहीं हैं, यह उससे ऊपर हंै। ऐसा देखा गया है कि पीपल के आसपास चबूतरा बनवा देने पर अकसर जडं़े निकलने से वे टूट जाती हंै, लेकिन यहां लंबे समय से बने चबूतरों में जड़ों के कारण ऐसी कोई दरारे नहीं हैं। देखने पर इस पीपल के पत्ते आम पीपल के पत्तों जैसे नजर नहीं आते। गुरुद्वारे के अंदर एक सरोवर है, जहां अनेक श्रद्धालु आकर स्नान करते है फिर गुरुद्वारे में मथा टेकने जाते हंै और बाबा की कृपा पाते हैं तथा प्रत्येक वर्ष यहां दिवाली की अमावस्या से विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। उस समय गुरुद्वारे व नगर की साज-सज्जा देखने लायक होती है। गुरुद्वारे से कुछ ही दूरी पर बोली साहिब स्थित है, जो अपने आप में एक अलग महत्त्व रखती है। यहां से लगभग 150 किलोमीटर दूर सिखों का एक अन्य तीर्थ स्थल रीठा साहिब भी है। नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा में लगने वाला दीपावली का मेला इस क्षेत्र का विशालतम मेला माना जाता है।

यही निराकार, सर्वव्यापक परमेश्वर सब जगत को बसाए हुए है और जब वेद मंत्रों से यज्ञ आदि में इनकी पूजा करते हैं, योगाभ्यास आदि से इसकी उपासना करते हैं, तब परमेश्वर प्रसन्न होकर हमारे सभी दु:खों का नाश करके हमारी सब ओर से रक्षा करता हुआ मोक्ष का सुख तक दे देता है...

सद्गुरु वही देता है जो तुम्हारे पास है ही, सदा शाश्वत से है, सनातन से है, कुछ नया नहीं देता। सद्गुरु तुमसे वही छीन लेता है जो तुम्हारे पास है ही नहीं। नींद छीन लेता है, जगा देता है, अहंकार छीन लेता है, अहंकार झूठा है। सद्गुरु सत्य, श्रद्धा, प्रेम बांटता है, झोली खुशियों से भर देता है। सद्गुरु तुम्हें मुक्ति देना चाहता है, स्वतंत्रता देना चाहता है, तुम्हारे सारे बंधन तोडऩा चाहता है। ऐसा गीत देना चाहता है जिसे तुम गुनगुना सको।

आकाश को व्योम या व्याप्ति वर्णित किया जाता है, जिसका मतलब है जो सर्वव्यापी और सब में समाया हुआ है। आकाश से परे क्या है? आकाश से परे के बारे में सोचना अकल्पनीय है। सब कुछ आकाश में निहित है, सभी चार तत्व आकाश में ही हैं। सबसे स्थूल है पृथ्वी और फिर जल, अग्नि, वायु और आकाश। वायु अग्नि से अधिक सूक्ष्म है। आकाश सूक्ष्मतम है...