आस्था

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… अब आज से तेरे समान सच्चे त्यागी के साथ बात करके मुझे शांति मिलेगी और यह कहते-कहते उनकी आंखों में आंसू उमड़ आए। नरेंद्र आश्चर्यचकित होकर उन्हें देख रहे थे। क्या कहें उनकी समझ में नहीं आ रहा था। कुछ देर बाद रामकृष्ण हाथ जोडक़र सम्मान के साथ उन्हें संबोधित

ओशो तुमने पूछा है मैं कैसे अपने अचेतन, अपने अंधरे को प्रकाश से भर दूं? एक छोटा सा काम करना पड़ेगा। चौबीस घंटे तुम दूसरे को देखने में लगे हो, दिन में भी और रात में भी। कम से कम कुछ समय दूसरे को भूलने में लगो। जिस दिन तुम दूसरे को बिलकुल भूल जाओगे,

श्रीराम शर्मा आत्मा की परिपूर्णता प्राप्त कर परमात्मा में प्रतिष्ठित होने के दो मार्ग हैं। एक प्रयत्न पूर्वक प्राप्त करना और दूसरा अपने आपको सौंप देना। प्रथम मार्ग में विभिन्न साधनाएं करनी पड़ती हैं, चिंतन, मनन, ज्ञान के द्वारा विभिन्न उपक्रमों में सचेष्ट रहना पड़ता है। दूसरी ओर संपूर्ण भाव से परमात्मा के प्रति समर्पण

22 अक्तूबर रविवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, अष्टमी, दुर्गाष्टमी 23 अक्तूबर सोमवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, नवमी, पंचक प्रारंभ 24 अक्तूबर मंगलवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, दशमी, दशहरा 25 अक्तूबर बुधवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, एकादशी, पापांकुशा एकादशी, भरत मिलाप 26 अक्तूबर गुरुवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, द्वादशी, प्रदोष व्रत 27 अक्तूबर शुक्रवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, त्रयोदशी 28 अक्तूबर शनिवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, पूर्णिमा, पंचक समाप्त

-गतांक से आगे... मंजीररंजितपद: सर्वाभरणभूषित:। विन्यस्तपादयुगलो दिव्यमंगलविग्रह:॥ 107॥ गोपिकानयनानन्द: पूर्णश्चन्द्रनिभानन:। समस्तजगदानन्दसुन्दरो लोकनन्दन:॥ 108॥ यमुनातीरसंचारी राधामन्मथवैभव:। गोपनारीप्रियो दान्तो गोपिवस्त्रापहारक:॥ 109॥ श्रृंगारमूर्ति: श्रीधामा तारको मूलकारणम। सृष्टिसंरक्षणोपाय: क्रूरासुरविभंजन॥ 110॥ नरकासुरहारी च मुरारिर्वैरिमर्दन:। आदितेयप्रियो दैत्यभीकरश्चेन्दुशेखर:॥ 111॥ जरासन्धकुलध्वंसी कंसाराति: सुविक्रम:। पुण्यश्लोक: कीर्तनीयो यादवेन्द्रो जगन्नुत:॥ 112॥ -क्रमश:

लिवर न सिर्फ पाचन और मैटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है, बल्कि यह पोषक तत्त्वों के भंडारण के साथ ही शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में भी अहम भूमिका भूमिका निभाता है। ऐसे में लिवर का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, ताकि यह अपना कार्य सही तरीके से कर सके… लिवर हमारे शरीर का

* नारियल का तेल हल्का गर्म करके दिन में 2-3 बार बिवाइयों पर लगाने से काफी राहत मिलती है। * सफेद मोम को गर्म करके तिल के तेल में मिला लें। जब तेल काफी पक जाए, तो उसमें दस ग्राम राल भी डाल दें, फिर आग से उतार कर इस मिश्रण को बिवाइयों पर लगाएं।

बाबा हरदेव गतांक से आगे… दोनों को प्यास बहुत लगी थी पर पानी थोड़ा था। प्रेमवश दोनों एक दूसरे के प्राण बचाना चाहते थे। अपने प्राणों की परवाह नहीं थी, इसी प्यार में तू पी, तू पी कहते-कहते दोनों ने दम तोड़ दिया। वास्तविक प्रेम में लेने की कामना नहीं होती, देने का उत्साह होता

श्रीश्री रवि शंकर सारी सृष्टि पांच तत्वों और दस इंद्रियों से बनी है, पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कर्मेंद्रियां। यह पूरी सृष्टि आपको आनंद और विश्राम देने के लिए है। जिससे भी आपको आनंद मिलता है, उसी से आपको राहत भी मिलनी चाहिए, अन्यथा वही आनंद, दुख बन जाता है। जो ज्ञान में जाग्रत हो गया