आस्था

रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है जो श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है… रक्षाबंधन का अर्थ रक्षाबंधन का अर्थ है रक्षाबंधन, अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। इसीलिए राखी

मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसी भी द्वादश ज्योतिर्लिंग से अलग यहां के मंदिर के शीर्ष पर त्रिशूल नहीं, बल्कि पंचशूल है। यहां मनोरथ पूर्ण करने वाला कामना द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थापित है… झारखंड के देवघर जिला स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों से अलग है। यही कारण है कि सावन महीने

हिंदू धर्म में सर्पों की पूजा का विशेष महत्त्व है। नाग पंचमी के अवसर पर देशभर के मंदिरों में नाग देवता की पूजा की जाती है। बंगलूर शहर से 60 किमी. की दूरी पर डोड्डाबल्लापुरा तालुका के पास नाग देवता का विशेष मंदिर है, जिसे घाटी सुब्रमण्या मंदिर के नाम से जाना जाता है। धर्मग्रंथों

हिमाचल देवभूमि के नाम से अपने आंचल में स्थित अनेक प्राचीन  देवस्थलों के लिए जाना जाता है। प्राचीनकाल से ही इन देवस्थलों पर लगने वाले मेलों से आपसी भाईचारे की अनूठी मिसाल मिलती है। उतरी भारत में इन्हीं देवस्थलों में कांगड़ा जिला का प्राचीन देवस्थल बाबा शिब्बोथान धाम भरमाड़ भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र

कामदा एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी पुकारा जाता है। पुराणों के अनुसार श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी कामदा है। इस दिन भगवान श्रीधर की पूजा की जाती है… विधि इस दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु को पंचामृत स्नान कराके भोग लगाना चाहिए। फिर आचमन के पश्चात धूप, दीप, चंदन,

आपने हरी सब्जियों के महत्त्व के बारे में तो सुना ही होगा।  हरी सब्जियां खाने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बॉडी को कई तरह के लाभ भी मिलते हैं। फलों और सब्जियों में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन और मिनरल्ज होते हैं। जो हमारे शरीर को रोगों की चपेट में

हिंगलाज देवी का दर्शन करके मछेंद्रनाथ चलकर बाराहमलहार नाम के वन में गए और वहां के ग्राम में पहुंच कर एक मंदिर में शांति से सो गए। रात के दूसरे पहर में उन्हें एक जोरदार आवाज सुनाई दी और असंख्य मशालें दिखाई दीं। यह सब देख मछेंद्रनाथ को लगा कि मुझ पर भूतों ने आक्रमण

गतांक से आगे… उन्होंने तुरंत माता के चरण पकड़ लिए और उनसे अपनी रक्षा करने की गुहार लगाई। माता पार्वती आगे आई और महादेव से प्रार्थना की कि भृगु तो उनके पुत्र की भांति हैं अतः उन्हें प्राणदान दें। उनके ऐसा कहने पर महादेव का क्रोध थोड़ा शांत हुआ। उन्हें शांत देख कर भृगु ने

महाभारत के पात्र माता कुंती को दिए वचनानुसार उसने किसी भी पांडव का वध नहीं किया। कर्ण ने अपना विजय धनुष उठाया और अर्जुन पर भार्गवास्त्र चला दिया। भार्गवास्त्र से करोड़ों योद्धा मारे गए और बाकी प्राणों की रक्षा के लिए अर्जुन के पास गए। अर्जुन ने कहा कि भार्गवास्त्र को निरस्त करना असंभव है