आस्था

* सोने से पहले पैरों की तेल से मसाज करने से नींद अच्छी आती है। * गर्मियों में पसीना ज्यादा आता है, तो खीरे का  रस चेहरे पर लगाएं इससे पसीना कम आएगा। * चावल के आटे में शुद्ध शहद मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक उठता है। * मां अपने दूध की दो

खरबूजे में भरपूर मात्रा में शर्करा के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, लोहा, कैलोरी और विटामिन ए और बी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जो कि आपको गंभीर बीमारियों से निजात दिलाते हैं। गर्मियों के मौसम में खरबूजा मिलना आम बात होती है। यह गर्मियों के सीजन में ही पाया जाता है, लेकिन आप ये बात

निर्जला एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष तौर पर मनाया जाता है। हिंदुओं में वर्ष में चौबीस एकादशियां आती हैं, किंतु इन सब एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली समझी जाती है क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता

निर्जला एकादशी व्रत का पौराणिक महत्त्व और आख्यान भी कम रोचक नहीं है। जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया था, युधिष्ठिर ने कहा, ‘जनार्दन! ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी पड़ती हो, कृपया उसका वर्णन कीजिए।’ भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, ‘हे

पवित्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा इस बार 8 जून से 8 सितंबर तक शुरू हो रही है। चीन के कब्जे वाले तिब्बत में मौजूद ये पवित्र पर्वत और सरोवर भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। ये यात्रा बहुत दुर्गम और लंबी होती है। अमूमन 18 से 21 दिनों में ये पूरी होती है।

निर्जला एकादशी का पर्व बैजनाथ एवं आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध है। इस पर्व से 3-4 दिन पहले लोग बैजनाथ से 10 किमी. दूर दयोल गांव की पहाडि़यों में स्थित तत्वाणी नामक जगह पर गर्म पानी के चश्मों में स्नान करके महाकाल मंदिर के पास लगने वाले मेले में शिरकत करते हैं। जगह-जगह मीठे जल

-गतांक से आगे… वामा च पञ्चतपसां वरदात्री प्रकीर्तिता। वाच्यवर्णेश्वरी विद्या दुर्जया दुरतिक्रमा।। 86।। कालरात्रिर्महावेगा वीरभद्रप्रिया हिता। भद्रकाली जगन्माता भक्तानां भद्रदायिनी।। 87।। कराला पिङ्गलाकारा कामभेत्त्री महामनाः। यशस्विनी यशोदा च षडध्वपरिवर्तिका।। 88।। शङ्खिनी पद्मिनी संख्या सांख्ययोगप्रवर्तिका। चैत्रादिर्वत्सरारूढा जगत्सम्पूरणीन्द्रजा।। 89।। शुम्भघ्नी खेचराराध्या कम्बुग्रीवा बलीडिता। खगारूढा महैश्वर्या सुपद्मनिलया तथा।। 90।। विरक्ता गरुडस्था च जगतीहृद्गुहाश्रया। शुम्भादिमथना भक्तहृद्गह्वरनिवासिनी।। 91।। जगत्त्त्रयारणी सिद्धसङ्कल्पा

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां अनेक देवी-देवताओं के मंदिर हैं। ऐसा ही एक भगवान नृसिंह का मंदिर जिला ऊना की बंगाणा तहसील के तहत पीपलू नामक स्थान पर स्थित है। बंगाणा से सात किलोमीटर की दूरी पर पिपलू में प्रतिवर्ष लगने वाला वार्षिक पिपलू मेला जहां हमारी धार्मिक आस्था

ओशो परमात्मा में हम हैं, परमात्मा से बिलकुल दूरी नहीं है। उसी में पैदा हुए हैं, उसी में जी रहे हैं तो पता नहीं चलता उसका। वायुमंडल का ही उदाहरण ले लो। चारों तरफ  से हम उससे घिरे हुए हैं, क्या उसका एहसास होता है हमें? पता चलता है? नहीं चलता। ऐसे ही परमात्मा से