आस्था

लोगों का मानना है कि मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू के कारण घड़े का पानी पीने का आनंद और इसका लाभ अलग है। दरअसल, मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के बरतनों में पानी रखा जाए, तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं… पीढि़यों

* कठिन परिस्थितियों में समझदार आदमी रास्ता खोजता है और कमजोर आदमी बहाना * संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है असंभव से भी आगे निकल जाना * सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है * तूफान ज्यादा हो

श्रीश्री रवि शंकर आपका कभी ईश्वर से मिलना हो तो जानते हैं आप उन्हें क्या कहेंगे? अरे! मैं तो अपने भीतर आपसे मिल चुका हूं। ईश्वर आप में नृत्य करते हैं उस दिन जिस दिन आप हंसते और प्रेम में होते हो। सुबह हंसना ही सच्ची प्रार्थना है। सतही हंसना नहीं, बल्कि अंदर की गहराई

अब परमहंस वे हैं, जो इस लोक और स्वर्ग के सुखों की इच्छा सर्वथा त्याग चुके हैं। वे केवल अपने हृदय देश में स्थित आनंदस्वरूप आत्मा को प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। वे आत्मसाक्षात्कार के लिए नित्य वेदांतशास्त्र का अध्ययन करते हैं। हे शिष्य! अब संन्यास आश्रम की सब धर्मों की अपेक्षा अधिक उत्कृष्टता

अब यंत्र प्रकरण कहते हैं। प्रथम वंध्यायंत्र। हे देवी, यंत्र धारण विधान सुनो। यंत्र के धारण मात्र से ही समस्त वांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। जन्मवंध्या स्त्री पुत्र को प्राप्त करती है। गोरोचनादि सुगंधित पदार्थों से उत्तम यंत्र को लिखें। दो वृत्त निर्माण कर अष्टदल कमल बनाकर प्रतिपद्यमे मायाबीज और भूपुर लिखें। हे महेश्वरी,

ओशो हमारी तीसरी आंख का बिंदु है, वह हमारे संकल्प का भी बिंदु है। उसको योग में आज्ञाचक्र कहते हैं। आज्ञाचक्र इसीलिए कहते हैं कि हमारे जीवन में जो कुछ भी अनुशासन है वह उसी चक्र से पैदा होता है। हमारे जीवन में जो भी व्यवस्था है, जो भी आर्डर है, जो भी संगति है,

गतांक से आगे… यहां ब्रह्मरूप सद्गुरुदेव की वंदना की जा रही है। ब्रह्म को जानने वाला ब्रह्मरूप हो जाता है, इस शास्त्रवचन के अनुसार सद्गुरु और ब्रह्मतत्त्व में कोई अंतर नहीं है, दोनों एक ही हैं। इस वंदना द्वारा ग्रंथकार ने अपने सद्गुरु के नाम की ओर भी संकेत किया है। सर्ववेदांतसिद्धांतगोचरं तमगोचरम्। गोबिंदं परमानंदं

सोचना मनुष्य के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और साथ ही यह आपके जीवित होने का एक पुख्ता प्रमाण भी है। आप अपने विचारों के बारे में सोच कर उसे राह देकर अपने जीवन को सफल बनाते हैं। मनुष्य के भीतर थिंकिंग पावर ही उसे सफल और रचनात्मक बनाती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा

2 जून रविवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी 3 जून सोमवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, अमावस, शनैश्चर जयंती 4 जून मंगलवार, ज्येष्ठ, शुक्लपक्ष, प्रथमा 5 जून बुधवार,  ज्येष्ठ, शुक्लपक्ष, द्वितीया, रंभा तृतीया व्रत 6 जून बृहस्पतिवार, ज्येष्ठ, शुक्लपक्ष, तृतीया 7 जून शुक्रवार, ज्येष्ठ, शुक्लपक्ष, चतुर्थी 8 जून शनिवार, ज्येष्ठ, शुक्लपक्ष, षष्ठी