आस्था

हिंदुओं की परम आस्था के केंद्र उत्तर भारत के चार धामों की यात्रा प्रारंभ होने वाली है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदरनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने कई लोग जाते हैं। उत्तराखंड के मनोहारी और मोक्षदायक माने जाने वाले श्रद्धा के ये केंद्र व यात्रा के दौरान कई मनोहारी दृश्य, वाटरफॉल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, गहरी नदियां इस यात्रा

आदि शंकराचार्य (जन्म : 788 ई., मृत्यु : 820 ई.) अद्वैत वेदांत के प्रणेता, संस्कृत के विद्वान, उपनिषद व्याख्याता और हिंदू धर्म प्रचारक थे। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार इनको भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। इन्होंने लगभग पूरे भारत की यात्रा की और इनके जीवन का अधिकांश भाग उत्तर भारत में बीता। चार

हिमाचल की पर्वत शृंखलाओं पर बने देवी-देवताओं के मंदिर ही हिमाचल को देवभूमि का दर्जा दिलाते हैं। जिला कांगड़ा में धर्मशाला से 50 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा स्थान है त्रिलोकपुर। गांव के इस छोटे, लेकिन महत्त्वपूर्ण स्थान पर सड़क किनारे भगवान शिव का गुफा नुमा एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के

काशी में काल भैरव और विश्वनाथ मंदिर के बारे में तो सभी जानते हैं। कहते हैं कि जो काशी गया और काल भैरव के दर्शन नहीं किए, तो बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूरा नहीं होता। काल भैरव मंदिर में बाबा भैरव अपने दो रूपों में विराजते हैं। वहीं12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है काशी विश्वनाथ

-गतांक से आगे… शोभावती शाङ्करी च लोला मालाविभूषिता। परमेष्ठिप्रिया चैव त्रिलोकीसुंदरी माता।। 36।। नंदा संध्या कामधात्री महादेवी सुसात्त्विका। महामहिषदर्पघ्नी पद्ममालाऽघहारिणी।। 37।। विचित्रमुकुटा रामा कामदाता प्रकीर्तिता। पिताम्बरधरा दिव्यविभूषण विभूषिता।। 38।। दिव्याख्या सोमवदना जगत्संसृष्टिवर्जिता। निर्यन्त्रा यंत्रवाहस्था नंदिनी रुद्रकालिका।। 39।। आदित्यवर्णा कौमारी मयूरवरवाहिनी। पद्मासनगता गौरी महाकाली सुरार्चिता।। 40।। अदितिर्नियता रौद्री पद्मगर्भा विवाहना। विरूपाक्षा केशिवाहा गुहापुरनिवासिनी।। 41।। महाफलाऽनवद्याङ्गी कामरूपा

शुकदेव वेदव्यास के पुत्र थे। वे बचपन में ही ज्ञान प्राप्ति के लिए वन में चले गए थे। इन्होंने ही परीक्षित को ‘श्रीमद्भागवत पुराण’ सुनाया था। शुकदेव जी ने व्यास से महाभारत भी पढ़ा था और उसे देवताओं को सुनाया था। शुकदेव मुनि कम अवस्था में ही ब्रह्मलीन हो गए थे। जन्म कथा- इनकी उत्पत्ति

सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते हुए

कुछ महीने कीरो संयोगवश एक प्रेत आवाहन की बैठक में जा पहुंचे और वहां पिता की प्रेतात्मा ने आकर उनको बतलाया कि ‘हमारे परिवार से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण दस्तावेज लंदन के डेविस एंड सन सालिसिटर के यहां रखे हैं। उनका दफ्तर स्ट्रेंड में गिरजाघर के पास एक तंग सड़क पर है, जिसका नाम मैं भूल

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव लोग कहते हैं कि आप कष्ट में हैं तो ये आपके कर्म हैं। अगर कोई आपको यह बताने की कोशिश कर रहा है कि आप अपने कर्मों के कारण कष्ट में हैं, तो मुझे लगता है कि उसे उस व्यक्ति के कार्मिक तत्त्व का कोई खास ज्ञान नहीं है। यह मानवता की