जेन कहानियां दूसरों को शिक्षा देना आरंभ करने से पहले जेन साधकों के लिए जरूरी था कि वे कम से कम दो वर्ष अपने गुरु के सान्निध्य में रहें। जेन गुरु नान इन के पास उनका एक प्रशिक्षु टेन्नो पशिक्षण अवधि पूरी होने पर मिलने आया। बरसाती दिन था। टेन्नो छाता ले कर और खड़ाऊ
साधारणतः तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए। सकाम साधना में चंदन की माला, तमोगुणी साधना एवं शिवोपासना में रुद्राक्ष की माला तथा तांत्रिक प्रयोग में सर्प की हड्डी की माला का प्रयोग करना चाहिए। जप माला द्वारा ही किया जाना चाहिए। मंत्रादि शक्ति का अनुभव करने के लिए कम से कम ग्यारह माला का
गतांक से आगे… शृंगेरी में रहते समय गिरि नामक एक युवक आचार्य की शरण में आया। उन्होंने उसे अपनी शरण में ले लिया। यद्यपि वह युवक पढ़ा-लिखा नहीं था, लेकिन उसने अपनी आज्ञाकारित, कर्मठता और सत्यवादिता से आचार्य का हृदय जीत लिया। एकदिन किसी कार्यवश गिरि को आश्रम लौटने में देर हो गई। आचार्य ने
श्रीश्री रवि शंकर भारत में एक कहावत है, कार्य की सिद्धि सत्व से होती है, वस्तुओं से नहीं। किसी कार्य को सिद्ध करने के लिए सत्व गुण बढ़ना चाहिए और सत्व बढ़ने के लिए क्या करें। सही आहार, सही व्यवहार और अपने मन को विश्राम देना सबसे पहले है। अगर इसके बावजूद भी कभी कोई
बाबा हरदेव जहां अहंकार नहीं है वहीं स्वतंत्रता है। आध्यात्मिक जगत में जब तक स्वतंत्र होने के लिए कोई मौजूद है, तब तक कोई ‘स्वतंत्रता’ नहीं। और जब स्वतंत्र होने के लिए कोई भी नहीं बचता, तब ‘स्वतंत्रता’ घटित होती है, क्योंकि अध्यात्म से ‘स्वतंत्रता’ नहीं को उपलब्ध होती है, जो स्वतंत्र होने की कोई
भगवान शिव गौरी से कहते हैं हे गौरि, इस मंत्र के प्रकट करने की मेरी इच्छा नहीं है, फिर तुम्हें स्नेहपूर्वक कहता हूं, यह प्रयोग धर्मविमुख पुरुष के सम्मुख न कहना, श्रद्धावान पुरुष के सम्मुख ही इस मंत्र के प्रयोग का बखान करना चाहिए। अब मैं तुम्हें इस मंत्र का विधान संक्षेप में कहता हूं।
समुद्र मंथन करने में दूसरे नंबर पर निकली कामधेनु गौ। वह अग्निहोत्र यज्ञ की सामग्री उत्पन्न करने वाली गाय थी। इसलिए कामधेनु गाय को ब्रह्मवादी ऋषि-मुनियों ने ग्रहण कर लिया। कामधेनु प्रतीक है मन की निर्मलता का क्योंकि किसी भी इनसान के अंदर से बुरे विचार निकल जाने पर उसका मन निर्मल हो जाता है।
ओशो जिन लोगों को मन के पार जाना है, उन्हें हृदय, मस्तिष्क दोनों से उतरकर नाभि के पास वापस लौटना होता है। अगर आप फिर से अपनी चेतना को नाभि के पास अनुभव कर सकें, तो आपका मन तत्क्षण ठहर जाएगा। तो इस ध्यान की प्रक्रिया के लिए, जिसको मैं निश्चल ध्यान योग की तरफ
श्रीराम शर्मा पुराने समय की बात है, एक गांव में दो किसान रहते थे। दोनों ही बहुत गरीब थे, दोनों के पास थोड़ी-थोड़ी जमीन थी, दोनों उसमें ही मेहनत करके अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाते थे। अकस्मात कुछ समय पश्चात दोनों की एक ही दिन मृत्यु हो गई। यमराज दोनों को एक साथ