आस्था

गुरुग्राम शहर के शीतला माता मंदिर में हर वर्ष मार्च-अप्रैल में चैत्र मेले का आयोजन किया जाता है। इस बार भी यह मेला 23 अप्रैल तक चलेगा। इन मेलों के दौरान सप्ताह में 3 दिन रविवार, सोमवार और मंगलवार को श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ रहती है...

कर्म जो आंखों से दिखाई देता है, वह अदृश्य-विचारों का ही दृश्य रूप है। मनुष्य जैसा सोचता है वैसा करता है। चोरी, बेईमानी, दगाबाजी, शैतानी, बदमाशी कोई आदमी यकायक कभी नहीं कर सकता, उसके मन में उस प्रकार के विचार बहुत दिनों से घूमते रहते हैं। अवसर न मिलने से वे दबे हुए थे, समय पाते ही वे कार्य रूप में परिणत हो गए। बाहर के लोगों को किसी के द्वारा यकायक कोई दुष्कर्म होने

शहद और मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इस पेस्ट को मुंह के छालों पर लगाएं और लार को बाहर टपकने दें। इससे काफी आराम मिलता है।

यह एक अथाह विस्तृत विषय है, जिसे सीमित स्थान एवं सीमित शब्दावली में समेटना बहुत कठिन है। मानव पूर्ण जीवनकाल में कई अवस्थाओं से गुजरता है शिशुकाल, बाल्यावस्था, अवयस्क काल, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था...

यही है ईष्र्या कि बुढिय़ा अपने सुख को भूलकर दूसरों के दु:ख में दिलचस्पी लेती है। ईष्र्या में उन्मत्त होकर मनुष्य धर्मनीति तथा विवेक के मार्ग को त्याग देता है। मस्तिष्क में ईष्र्या के विचार से नाना प्रकार की विकृत मानसिक अवस्थाओं की उत्पत्ति होती रहती है। ईष्र्या एक मानसिक विकार है। इसकी ज्वाला से व्यक्ति का विवेक नष्ट हो जाता है जिससे उसे हित-अहित का ध्यान नहीं रहता।

मैंने एक बहुत पुरानी कहानी सुनी है। यह यकीनन बहुत पुरानी होगी, क्योंकि उन दिनों ईश्वर पृथ्वी पर रहता था। धीरे-धीरे वह मनुष्यों से उकता गया क्योंकि वे उसे बहुत सताते थे। कोई आधी रात को द्वार खटखटाता और कहता, तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मैंने जो चाहा था वह पूरा क्यों नहीं हुआ। सभी ईश्वर को बताते थे कि उसे क्या करना चाहिए। हर व्यक्ति प्रार्थना कर रहा था और उनकी प्रार्थनाएं विरोधाभासी थीं। कोई कहता, आज धूप निकलनी चाहिए क्योंकि मुझे कपड़े धोने हैं। कोई कहता, आज बारिश होनी चाहिए क्योंकि मुझे पौधे रोपने हैं। अब ईश्वर क्या करे? यह सब उसे बहुत उलझा रहा था। वह पृथ्वी से चला जाना चाहता था।

होली भारत का प्रमुख त्योहार है। होली जहां एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक त्योहार है, वहीं रंगों का भी त्योहार है। बाल-वृद्ध, नर-नारी, सभी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसमें जातिभेद, वर्णभेद का कोई स्थान नहीं होता। इस अवसर पर लकडिय़ों तथा कंडों आदि का ढेर लगाकर होलिका-पूजन किया जाता है, फिर उसमें आग लगाई जाती है। पूजन के समय मंत्र उच्चारण किया जाता है....

राजस्थान का तो यह अत्यंत विशिष्ट त्योहार है। इस दिन भगवान शिव ने पार्वती को तथा पार्वती ने समस्त स्त्री समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। गणगौर माता की पूरे राजस्थान में पूजा की जाती है। राजस्थान से लगे ब्रज के सीमावर्ती स्थानों पर भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। चैत्र मास की तीज को गणगौर माता को चूरमे का भोग लगाया जाता है। दोपहर बाद गणगौर माता को

होली हमारे देश का प्रमुख त्योहार है। हिमाचल प्रदेश में होली बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर टीहरा का प्रसिद्ध राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव 23 से 26 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है। सुजानपुर टीहरा जिला हमीरपुर का सबसे सुंदर एवं आकर्षक स्थान है। इस नगर की स्थापना करने का काम 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने शुरू किया था और इसको पूरा करने का श्रेय उनके पोते राजा संसार चंद को जाता है। कलाप्रेमी राजा संसार चंद ने इस नगर का निर्माण कलात्मक