आस्था

* डेंगू होने पर 1 गिलास पानी में थोड़ी से गिलोय को पीस लें और उसमें 5-6 पत्तियां तुलसी की मिला कर उबाल लें और काढ़ा बना कर पिएं। इसके साथ 3 चम्मच एलोवेरा का रस पानी में मिला कर हर रोज पिएं, तो कभी कोई बीमारी नहीं होगी, इसमें पपीते के 3-4 पत्तो का

गायत्री को हिंदू भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री मानते हैं। गायत्री मां से ही चारों वेदों की उत्पति मानी जाती हैं। इसलिए वेदों का सार भी गायत्री मंत्र को माना जाता है। मान्यता है कि चारों वेदों का ज्ञान लेने के बाद जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, अकेले गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों

भगवान राम ने जब रावण को युद्ध में परास्त किया तो उसके छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया। राम, सीता, लक्ष्मण और कुछ वानरों ने पुष्पक विमान से अयोध्या की ओर प्रस्थान किया। वहां सबसे मिलने के बाद राम और सीता का अयोध्या में राज्याभिषेक हुआ… -गतांक से आगे… कैकेयी ने दो

आज हमारी यांत्रिक तथा अप्राकृतिक जीवन शैली ने नए-नए मनोकारिक तथा शारीरिक रोगों को जन्म दिया है, जिनका आधुनिक चिकित्सा पद्धति के पास कोई स्थायी समाधान भी नहीं है। हालांकि कुछ नियम अपनाकर आप दिन भर बैठे रहने वाले जॉब के बावजूद भी खुद को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। तो चलिए जानें क्या हैं

प्रह्लाद ने कहा, हे सर्वव्यापी, जगद्रूप, जगत्स्त्रष्टा, जनार्दन! इस मंत्राग्नि रूप दुःस्ह विपत्ति से इन विप्रों की रक्षा करो। सर्वव्याप्त एवं जगद्गुरु भगवान विष्णु सब भूतों में स्थित हैं, इस न्याय के प्रभाव से वह पुरोहितगण जीवन प्राप्त करें… श्री पराशरजी कहा, प्रह्लाद की बात सुनकर दैत्यराज के पुरोहित क्रोध में भर गए और उन्होंने

हिंदू ग्रंथ महाभारत से जुड़ी कई अलग-अलग कहानियों के बारे में तो लोग जानते ही हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऐसी भी कहानियां हैं जिनके बारे में शायद ही किसी को पता है। महाभारत में ऐसे अनेकों प्रमुख पात्र थे जिनकी इसमें विशेष भूमिका रही थी। इन॒ सबसे प्रमुख पात्र थे श्रीकृष्ण। शायद ही कोई जानता

श्रीराम शर्मा यहां बात हो रही है दो शब्दों की, जिनका हिंदी में मतलब सहानुभूति और समानुभूति होता है। सिम्पथी या सहानुभूति शब्द को हम सब रोजमर्रा के चलन में बहुतायत से प्रयोग करते हैं, लेकिन एम्पैथी या समानुभूति से हमारा परिचय कम ही हो पाता है। इसका अर्थ है जागरूकता के साथ दूसरों की

भक्ति से ही आत्मा तथा परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। प्रभु के प्रति इस प्रकार की निष्काम भक्ति उत्तम प्रकार के ज्ञान को देने वाली है। जो मनुष्य निरंतर धर्म के अनुसार चलता है, उसकी ही प्रभु में भक्ति तथा श्रद्धा होती है एवं प्रभु में श्रद्धा वाले व्यक्ति को प्रभु की

स्वामी रामस्वरूप वेदों के ज्ञाता श्री कृष्ण महाराज ने इस प्रश्न का उत्तर वेदों के ही अनुसार भगवदगीता श्लोक 3/15 में स्वयं दिया है, जिसमें कहा कि हे अर्जुन! सभी कर्मों को वेदों से उत्पन्न हुआ जानो और चारों वेद अविनाशी परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं… जब ईश्वर सृष्टि का निर्माण करता है उस समय अमैथुनी