आस्था

ओशो भागदौड़ भरी जिंदगी ने भौतिक सुख-सुविधाएं तो खूब दी हैं, लेकिन हमारे भीतर धीरे-धीरे तनाव भी उसी अनुपात में बढ़ता गया है। हमारी सहजता गुम हो रही है और हम अनावश्यक रूप से गंभीर हो रहे हैं। यह चिंता का विषय है। लोग इससे उबरना चाहते हैं जिसके लिए पूरे विश्व में तरह-तरह के

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… प्रत्येक वस्तु का अपना स्थान निश्चित होता है यदि किसी में दूसरे से अधिक क्षमता हो, तो संसार उसका भी पता लगा लेगा। इस विश्व व्यवस्था में ऐसा ही होता आया है अत: असंतुष्ट रहने से कोई लाभ नहीं। कोई धनी व्यक्ति दुष्ट हो सकता है किंतु उसमें कुछ गुण

जामुन खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है, साथ ही इसके कई औषधीय गुण भी होते हैं। जामुन को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि। इसकी प्रकृति अम्लीय और कसैली होती है, लेकिन इसका स्वाद खाने में मीठा होता है। अम्लीय होने के कारण जामुन को नमक

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 बचपन में शिक्षा पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता था कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज की महत्त्वपूर्ण इकाई मनुष्य ही था, जो मिलकर समाज की संरचना करता था। पहले समय में प्राणी सामुहिक रूप से इक्कठा रहा करते थे। परस्पर एक दूसरे के दु:ख-सुख में भागीदार बनते

9 जुलाई रविवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, सप्तमी 10 जुलाई सोमवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, अष्टमी, पंचक समाप्त 11 जुलाई मंगलवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, नवमी 12 जुलाई बुधवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, दशमी 13 जुलाई गुरुवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, एकादशी, कामिका एकादशी 14 जुलाई शुक्रवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, द्वादशी 15 जुलाई शनिवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, त्रयोदशी, शनि प्रदोष व्रत

* कर्म करते रहिए नदी की तरह मंजिल अपने आप मिल जाएगी समंदर की तरह * दुनिया की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाती है, एक कामयाबी ही है जो ठोकर खाकर मिलती है * कुछ भी नया करने में संकोच मत करो। ये मत सोचो हार होगी, हार तो कभी नहीं होती या

-गतांक से आगे… राधालिंगनसंमोहो राधानर्तनकौतुक: । राधासंजातसम्प्रीती राधाकामफलप्रद:॥ 17॥ वृन्दापति: कोशनिधिर्लोकशोकविनाशक: । चन्द्रापतिश्चन्द्रपतिश्चण्डकोदण्दभंजन:॥ 18॥ रामो दाशरथी रामो भृगुवंशसमुदभव:। आत्मारामो जितक्रोधो मोहो मोहान्धभंजन॥ 19॥ वृषभानुर्भवो भाव: काश्यपि: करुणानिधि:। कोलाहलो हली हाली हेली हलधरप्रिय:॥ 20॥ राधामुखाब्जमार्तण्डो भास्करो विरजो विधु:। विधिर्विधाता वरुणो वारुणो वारुणीप्रिय:॥ 21॥ रोहिणीह्रदयानन्दी वसुदेवात्मजो बलि:। नीलाम्बरो रौहिणेयो जरासन्धवधोमल:॥ 22॥ -क्रमश:

छविंद्र शर्मा-आनी कहते हैं भगवान आसानी से नहीं बल्कि कड़ी तपस्या से मिलते हैं और आनी विधानसभा क्षेत्र के निरमंड उपमंडल की 18570 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड कैलाश पर्वत की चोटी पर बसे भोले बाबा भी 35 किलोमीटर की कठिनतम, जोखिम भरी लेकिन रोमांचक यात्रा के बाद मिल पाते हैं। श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा

29 जून को निरमंड से शुरू हुई थी यात्रा, आठ जुलाई को लौटेगी वापस छविंद्र शर्मा — आनी 29 जून को निरमंड के दशनामी जूना अखाड़ा से शुरू हुई माता अंबिका व स्वामी दतात्रेय की 28 वीं छड़ी यात्रा सोमवार को संत श्री दावत गिरी जी महाराज की अध्यक्षता में भीम डवार से 18570 फुट