आस्था

हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां देवी-देवताओं में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और श्रद्धा है। ऐसा ही मां काली का सिद्धपीठ है कालीस्थान मंदिर, जो नाहन में स्थित है। मां काली यहां पिंडी रूप में विराजमान है। रियासत कालीन शहर नाहन में ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर का निर्माण रियासत के राजा विजय प्रकाश ने अपनी रानी के आग्रह पर सन् 1730 ई. में करवाया था। यह रानी कुमाऊं के राजा कल्याण चंद की सुपुत्री थी, जोकि देवी की परम भक्त व उपासक थी।

संकष्टी चतुर्थी माघ मास में कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी को कहा जाता है। इस चतुर्थी को माघी चतुर्थी या तिल चौथ भी कहा जाता है। बारह माह के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की आराधना सुख-सौभाग्य आदि प्रदान करने वाली कही गई है। संकष्टी चतुर्थी

उत्तर प्रदेश के जनपद बुलंदशहर में नेशनल हाई-वे 34 के किनारे गंगेरुआ गांव में 70 फुट ऊंचा एक विशाल शिवलिंग है। बुलंदशहर का ये शिवलिंग देश-दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है।

ह्ल एक चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में दो बार खाने से छींक की समस्या से राहत मिलती है। ह्ल लगातार छींक आने पर थोड़ी सी हींग लेकर सूंघने से बार-बार छींके आना बंद हो जाती हैं। ह्ल काली मिर्च पाउडर और मिसरी की बराबर मात्रा का सेवन दिन में

25 फरवरी रविवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, प्रथमा २6 फरवरी सोमवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, द्वितीया, शबबरात 27 फरवरी मंगलवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, तृतीया 28 फरवरी बुधवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी 29 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, पंचमी 1 मार्च शुक्रवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, षष्ठी 2 मार्च शनिवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, षष्ठी

स्वामी रामस्वरूप श्लोक 11/22 में अर्जुन श्रीकृष्ण महाराज को कह रहे हैं कि हे योगेश्वर श्रीकृष्ण ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, आठ वसु, साधयगण, विश्वेदेव अर्थात सब विद्वान अश्विनों, सूर्य, चंद्रमा, मरुतगण अर्थात वायु सब पितर लोग और गंधर्व, यक्ष, सिद्ध पुरुष के समूह सब ही आश्चर्यचकित हुए आपको देख रहे हैं… गतांक से आगे… कितने

मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। ललिता जयंती का व्रत भक्तजनों के लिए बहुत ही फलदायक होता है। श्री ललिता जयंती इस बार 24 फरवरी को मनाई जा रही है। भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई इस दिन मां ललिता देवी की...

स्वामी रामस्वरूप श्लोक 11/22 में अर्जुन श्रीकृष्ण महाराज को कह रहे हैं कि हे योगेश्वर श्रीकृष्ण ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, आठ वसु, साधयगण, विश्वेदेव अर्थात सब विद्वान अश्विनों, सूर्य, चंद्रमा, मरुतगण अर्थात वायु सब पितर लोग और गंधर्व, यक्ष, सिद्ध पुरुष के समूह सब ही आश्चर्यचकित हुए आपको देख रहे हैं… गतांक से आगे… कितने

सद्गुरु जग्गी वासुदेव जब प्रसन्नता भीतर होती है तो उसे शांति, आनंद या खुशी कहते हैं। जब आपके चारों ओर का माहौल सुखद बन जाता है तो उसे सफलता का नाम दिया जाता है। अगर आपकी इनमें से किसी में भी रुचि नहीं है और आप स्वर्ग जाना चाहते हैं, तो आप क्या खोज रहे