आस्था

अवधेशानंद गिरि वेदांत ग्रंथों में व्यावहारिक दृष्टि से ब्रह्म  के स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए ईश्वर को कारण ब्रह्म  और जगत को कार्य ब्रह्म कहा गया है। इस सृष्टि में मानव देह की उपलब्धता सर्वोत्कृष्ट मानी गई है। मनुष्य जीवन की प्राप्ति परमेश्वर के अनुग्रह का ही फल है जिसने संपूर्ण सृष्टि का सृजन

वायरस से फैलने वाले इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक काम नहीं करती है और वैक्सीन भी पूरी तरह से वायरस का खात्मा नहीं कर पाती है, लेकिन एंटीवायरल जड़ी-बूटियां वायरस को बढ़ने से रोकती हैं। इन्फेक्शन के इलाज में जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है क्योंकि ये वायरस के लिए हानिकारक होती हैं और व्यक्ति के शरीर

बाबा हरदेव वास्तविकता में मनुष्य भी एक शून्य भाव है, जिसके सामने से सब दृश्य आते हैं और गुजर जाते हैं, संसार बनते हैं और उजड़ जाते हैं। असल में मनुष्य एकमात्र द्रष्टा है और इसके लिए कुछ भी कहा नहीं जा सकता, क्योंकि जिसे हम कुछ कहेंगे, कोई रूप, कोई आकार, कोई नाम देना

गुरु और शिष्य का संबंध सांसारिक नहीं है, वह समस्त सांसारिक संबंधों से परे है। जब शिष्य को गुरु और गुरु को शिष्य मिलता है तो संसार में अघटित घटना घटती है। प्रेम और आनंद का समुद्र उमड़ता है और सारे तर्क-वितर्क तथा संशय छिन्न-भिन्न हो जाते हैं। शिष्य के सामने एक लक्ष्य स्थिर हो

दुनिया की लगभग 5 प्रतिशत आबादी को ठीक से सुनाई नहीं देता। इनमें 3.2 करोड़ बच्चे हैं। भारतीय आबादी के लगभग 6.3 प्रतिशत में यह समस्या मौजूद है और इस संख्या में लगभग 50 लाख बच्चे शामिल हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार इनमें से अधिकांश मामलों को समय पर उचित टीकाकरण करा के,

चित्रकार सोभा सिंह का परिवार ख्याति प्राप्त लोगों का परिवार था। उनके दादा चढ़त सिंह महाराजा रणजीत सिंह की सेना में थे। 19वीं शताब्दी में वह गुरदासपुर  जिला के श्री हरगोबिंदपुर में बस गए। सोभा सिंह भी शुरू में यहीं रहे, लेकिन बाद में वह हिमाचल के अंद्रेटा में बस गए। उनका जन्म दो नवंबर,

श्रीश्री रवि शंकर संसार जो हम देखते हैं इंद्रियों का वह जगत समिष्टि का केवल एक छोटा सा अंशमात्र है। पूर्णता एक शून्य की तरह है, विपुल और संपूर्ण । शून्य के ज्ञान के बिना सभ्यता फलफूल नहीं सकती। संसार एक परिपूर्णता से दूसरी परिपूर्णता की ओर अग्रसर है। पूर्णता मन में ठहराव लाती है

विशेषज्ञों के मुताबिक, ओजोन गैस एक खतरनाक प्रदूषक है। वातावरण में इसका निर्माण उस समय होता है, जब वाहनों से निकले धुएं में मौजूद कार्बनिक यौगिक सूरज की रोशनी के संपर्क में आकर उससे रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं। इसी तरह नाइट्रोजन ऑक्साइड और कोयले के जलने से निकला धुआं भी सूरज की रोशनी से मिलकर

भगवान विष्णु ने कहा कि नहीं मैं ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं जान पाया हूं । तभी ब्रह्मदेव ने देखा कि केतकी का फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है । ब्रह्मा ने केतकी के फूल को बहला -फुसलाकर झूठ बोलने हेतु तैयार कर लिया और शिव-शंकर के पास पहुंच गए। ब्रह्मा ने कहा कि