आस्था

सौम्यासौम्यैस्तदा शांताशांतेः स्त्रीत्वं च स प्रभुः। विभेद बहुधा देवः स्वरूपरसितै सितः।। ततो ब्रह्मात्मसम्भूत पूर्व स्वयम्भुवं प्रभुः। आत्मानमेव कृतान्प्रजापाल्ये मनु द्विज।। शतरूपां च तां नारीं तपोनिर्ध तकल्पषाम्। स्वायम्भो मनुर्देवः पत्नीत्वे जगृहे प्रभः।। तस्मात पुरुषाद्दैवी शतरूमा व्याजायत। प्रियव्रतात्तानपादौ प्रसूत्याकूतिसंज्ञितम्।। कन्याद्वयं च धर्मज्ञ पौदार्यगुणान्वितम्। ददौ प्रसूर्ति दक्षय आकृर्ति रुचये पुरा।। प्रजापतिः स जग्राह तगोजेज्ञे सदक्षिणाः। पुत्री यक्षो महाभाग

भगवान के ऐसे वचन सुनकर ब्राह्मण बोले, हे प्रभु! आप मुझे एक रूप गुण संपन्न कन्या दो जिससे मैं उसका विधिपूर्वक विवाह करके अक्षय फल को प्राप्त कर सकूं। ब्राह्मण की ऐसी मांग सुनकर प्रभु ने कहा, हे ब्राह्मण! तूने अभी लग्न तो किया नहीं है तो मैं तुझे कन्या किस तरह दे सकता हूं।

स्वामी अड़गड़ानंद जी विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अशोक सिंघल जी ने आदिशास्त्र के रूप में इसे पाकर विचार गोष्ठियों में इस पर गहन मनन-चिंतन कराया, विचार-विमर्श होता रहा किंतु कुछ ही दिनों में यह व्याख्या सर्वग्राह्य होती गई और न केवल हिंदू परिषद बल्कि काशी विद्वत परिषद, विश्व ब्राह्मण महासभा, विश्व

ओशो उदासी, चिंता, क्रोध, क्लेश, हताशा और दुख जैसी भावनाओं के साथ एकमात्र समस्या यह है कि तुम इन सबसे छुटकारा पाना चाहते हो। तुम्हें इनके साथ जीना होगा। तुम इनसे भाग नहीं सकते। यही वे सारी परिस्थितियां हैं, जिनमें जीवन केंद्रित होता है। जिसमें जीवन का विकास होता है। यही तो जीवन की चुनौतियां

रोजा वास्तव में अपने गुनाहों से मुक्त होने, उससे तौबा करने, उससे डरने और मन व हृदय को शांति एवं पवित्रता देने वाला है। रोजा रखने से उसके अंदर संयम पैदा होता है। पवित्रता का अवतरण होता है और मनोकामनाओं पर काबू पाने की शक्ति पैदा होती है। एक तरह से त्याग एवं संयममय जीवन

अमावस्या शनिदेव का विशेष दिन है और यदि अमावस्या शनिवार के दिन आ जाए तब यह दिन बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो जाती है। इस बार 24 जून कोे शनिवार होने पर यह दिन शनिदेव का विशेष दिन है।  है। अंधेरे के स्वामी शनिदेव हैं और अमावस्या के दिन घनी काली अंधेरी रात होती है। अंधेरे

शनि की साढ़ेसाती जिस भी जातक पर चल रही  हो उस जातक को शनि महामंत्र  का 23 हजार मंत्रों का जाप साढ़े सात वर्षों के अंदर करना अनिवार्य  होता है, जिसे 23 दिनों में पूर्ण  करना चाहिए। नित्य 10 माला  जाप करने से 23 दिनों में जाप  पूर्ण हो जाता है। यदि जातक  की उम्र

आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ  के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों

भारत के अलावा कई देशों में हिंदू परंपरा के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, खासकर पूर्वी एशिया के देश इंडोनेशिया में हिंदू परंपराओं और मंदिरों का बहुत महत्त्व है। वहां पर कई भव्य और सुंदर मंदिर हैं। यहां बने देवी-देवताओं के मंदिर इतने सुंदर हैं कि उनकी गिनती दुनिया के सबसे सुंदर मंदिरों में भी की