आस्था

श्रीश्री रविशंकर प्रकृति की तरह ही रंगों का प्रभाव हमारी भावनाओं और संवेदनाओं पर पड़ता है। प्रत्येक मनुष्य रंगों का एक फव्वारा है। आनंद जब जीवन में होता है, तो जीवन उत्सव बन जाता है। भावनाएं आपको अग्नि की तरह जलाती हैं। ये रंगों की फुहार की तरह हों, तो जीवन सार्थक हो जाता है।

कहा जाता है, देवी महामाया का पहला अभिषेक और पूजा-अर्चना कलिंग के महाराज रत्नदेव ने 1050 में रतनपुर में की थी। आज भी यहां उनके किलों के अवशेष देखे जा सकते हैं।  इस मंदिर के निर्माण के पीछे कई किंवदंतियां है । माना जाता है कि मां सती की देह खंडित होने के बाद धरती

वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालु प्रभु की कृपा पाने आते हैं। दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हर कोई प्रभु की एक झलक पाने को लालायित रहता है। भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा भक्तों के सारे संताप हर लेती है… मथुरा-वृंदावन और आसपास के इलाके में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी

हिमाचल प्रदेश जहां प्राकृतिक सौंदर्य के चलते विश्व विख्यात है तो वहीं विभिन्न धार्मिक स्थानों के कारण भी। प्रदेश में स्थित विभिन्न पवित्र धार्मिक स्थानों में से एक है जिला ऊना के उपमंडल अंब में बाबा बड़भाग सिंह जी का पवित्र स्थान मैड़ी। उपमंडल अंब मुख्यालय से लगभग 10 किमी. की दूरी पर जंगल के

स्वामी रामस्वरूप श्लोक 7/19 में श्रीकृष्ण महाराज अर्जुन से कह रहे हैं कि बहुत जन्मों  के अंत में ज्ञान प्राप्त पुरुष सब कुछ वासुदेव है, ऐसा मानकर मुझको प्राप्त होता है, वह ज्ञानवान महात्मा अति दुर्लभ है। भाव – यह है कि कई जन्म वैदिक साधना करते-करते किसी जन्म के अंत में लिए हुए जन्म

वसंत ऋतु में आयुर्वेद ने खान-पान में संयम की बात कहकर व्यक्ति एवं समाज की निरोगता का ध्यान रखा है। वसंत ऋतु दरअसल शीत और ग्रीष्म का संधिकाल होती है। संधि का समय होने से वसंत ऋतु में थोड़ा-थोड़ा असर दोनों ऋतुओं का होता है। प्रकृति ने यह व्यवस्था इसलिए की है क्योंकि प्राणीजगत शीतकाल

मेरूल्बमभत्तस्य जरायुऽज महीधराः। गर्भोदध समुद्राश्च तस्यासंसुमहात्मनः।। साद्रिदीपसमुद्राश्च सज्योतिर्लोकभग्रहः। तस्मिननझडेऽन्नवद्विप्र सदेवासुरमानुषः।। वाहिरह्नयनिलाकर्शतती भूवादिना वहिः। वृतं दशगुणौनण्ड भूतादिमहता तथा।। अव्यक्तेनावृतो ब्रह्मैस्तै सर्वे सहितो महान्। एभिरावरणैरंड सप्तभि प्राकृतैर्वृतम्। नारिकेलफलस्यान्तर्बीज बाह्यदलैरिव।। जुषत् रजोगुण तन्न स्वयं विश्वेश्वर हरिः। ब्रह्मा भूत्वास्य जगो विसृष्टा सम्प्रवर्त्तते।। सृष्टं च पात्यनुयुगं यावत्कल्पविकल्पना। त्यवृद्भगवानविष्णुरप्रमेयपराक्रमः।। तमोद्वेको च अल्पन्ति रुद्ररूपा जर्नार्दनः। मैत्रैयाखिलभूतानि भक्षयत्यतिदारुणेः।। सुमेरु पर्व गर्भ रूप अंड

सामान्य श्रेणी के लोग सोचते हैं कि खूब अच्छा, स्वादिष्ट और सरल भोजन मिलता रहे तो कितना आनंद रहे। आनंद का निवास खूब खाने और मौज उड़ाने में है। अपनी इसी मान्यता के कारण वे अच्छे से अच्छे भोजन और विविध प्रकार के व्यंजनों का संग्रह करते हैं। बार-बार रसों का स्वाद लेते और कोशिश

होली का त्योहार प्यार व सौहार्द का त्योहार है। होली में एक दूसरे को रंग व गुलाल लगा कर जीवन में रंगीनियां लाने की शुभकामना देते हंै। पहले कृत्रिम फूलों व मसालों से रंग तैयार किए जाते थे। जिनका शरीर व चेहरे पर अच्छा प्रभाव पड़ता था। आज के समय की बात की जाए तो