आस्था

कई बार तनाव, लो ब्लड प्रेशर या हाइपरहाइड्रोसिस के कारण हाथों में बहुत पसीना आने लगता है। पसीना इतना ज्यादा होता है कि दूसरों के सामने शर्म आने लगती है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान रहते हैं, तो आज हम आपकी समस्या को दूर करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे लेकर आए हैं।

स्वामी रामस्वरूप सब प्रजा को आनंद देता है और जो बिना विचारे चलाया जाए तो सब ओर से राजा का विनाश कर देता है। श्लोक 7/27 में कहा है कि जो दंड को अच्छे प्रकार राजा चलाता है वह धर्म, अर्थ, काम की सिद्धि को बढ़ाता है और जो विषय में लंपट टेढ़ा, ईर्ष्या करने

बाबा हरदेव अपना मूल्यांकन करना जरूरी है और फिर अपना संवरना जरूरी है। मूल्यांकन करने के बाद भी अगर संवरने वाला काम न हुआ, तो फिर हम बहुत मंदभागे हैं कि हमने अपना मूल्यांकन भी कर लिया, जान भी लिया फिर भी संवरना नहीं हुआ। देखने वाले कई होते हैं, लेकिन देखकर भी हर किसी

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… यही भिन्नता, यही वैषम्य, संतुलन का यह भंग होना ही हमारी उन्नति का प्राण, हमारे समस्त चिंतन का स्रष्टा है। यह वैचित्र्य सदा ही रहेगा। विश्व धर्म का अर्थ फिर मैं क्या समझता हूं? कोई सार्वभौतिक अनुष्ठान पद्धति, जिसको मानकर सबकों चलना पड़ेगा, मेरा अभिप्राय नहीं है। कारण, मैं जानता

चाय पीना अगर आपकी आदत में शामिल है, तो क्यों न इसे हेल्दी हैबिट बना लिया जाए। वजन बढ़ने की समस्या से हर तीसरा इनसान परेशान है और ऐसा हमारे बिगड़े लाइफ स्टाइल के कारण होता है। चाय की कुछ वैरायटी ऐसी होती हैं, जिन्हें पीने से आपका वजन नियंत्रित रहता है और इन्हें आसानी

यह आदत आगे चलकर आपके बच्चों पर बुरा असर डाल सकती है। ज्यादा टीवी देखने से बच्चों का शारीरिक विकास और मानसिक विकास दोनों की कम होता है, क्योंकि ऐसे बच्चे सारा दिन टीवी के सामने बैठे रहते हैं, वे न तो खेलने जाते हैं और न ही पढ़ाई में आगे रहते हैं… आजकल अकसर

श्रीश्री रवि शंकर आध्यात्मिक प्रगति करने के लिए साधक पद्मसाधना के इन पांच पहलुओं का विकास और अपने अभ्यास को गहन कर सकता है। पद्मसाधना योग आसन, प्राणायाम और ध्यान की एक सुंदर शृंखला है, जिससे साधक अपने अभ्यास में गहन हो सकता है। आसन मुद्राएं शरीर और मन को केंद्रित करती हैं और प्राणायाम

श्रीराम शर्मा आपत्ति में डूबे हुए लोगों की मदद करना तो अच्छी बात है, किंतु देने वालों को देखना यह भी चाहिए कि सस्ती वाहवाही के फेर में कहीं वह लेने वाले का स्वाभिमान और स्वावलंबन तो नहीं नष्ट कर रहे हैं… प्राचीन समय में जिन लोगों के कारण इस धरा पर सतयुगी परिस्थितियां बनी

यह विचार करके पिता ने बालक से कहा, देखो यह घोड़ा राजा नहीं है, यह हाथी भी राजा नहीं है और यह रथ भी राजा नहीं है। यह पैदल पुरुष भी राजा नहीं है, यह तरह-तरह के हथियारों को लेकर चलने वाला भी राजा नहीं है, यह तुरही बजाने वाला भी राजा नहीं है। यह