पाठकों के पत्र

सारा देश जहां एक तरफ स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, वहीं दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में लगातार कुदरत का कहर बारिश के रूप में बरप रहा था। कुदरत के इस कहर ने कुछ लोगों की जिंदगी छीन ली तो कुछ की छत, तो बहुत से किसानों की खेतीबाड़ी। कहर का रौद्र रूप जिसने भी देखा उसके पैरों तले जमीन खिसक गई और दिल दहल गया। कहीं बादल फटा, कहीं तेज बारिश से पहाड़ खिसके। जिला हमीरपुर के

16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि आये हो निभाने को जब किरदार ज़मीं पर, कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे। अटल जी एक अच्छे राजनेता ही नहीं, बल्कि एक अच्छे कवि भी थे। इनकी कविताओं ने हर किसी के अंदर जोश और जज्बा

एक ऐसा भी समय था जब राष्ट्रध्वज संहिता में यह प्रावधान था कि मात्र सरकार तथा उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्रीय पर्वों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते थे। लेकिन जब उद्योगपति जिन्दल ने इसके लिए न्यायपालिका में अपील की थी, तब ध्वज संहिता में संशोधन लाया गया और कुछ शर्तों के तहत निजी क्षेत्र, स्कूल, कार्यालयों आदि में ध्वज फहराने की अनुमति दी गई। लेकिन अब

13वें वनडे क्रिकेट वल्र्ड कप का आगाज़ 05-10-2023 को अहमदाबाद में पिछले वल्र्ड कप की विजेता टीम इंग्लैंड और उपविजेता टीम न्यूजीलैंड के बीच मुकाबले से होगा। फाइनल मैच 19-11-2023 को अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा। क्रिकेट इतिहास में यह प्रथम बार हो रहा है जब पूरे का पूरा क्रिकेट वल्र्ड कप

ऐसा मीडिया, सोशल मीडिया, गंदी राजनीति, झूठ का खुला बाजार, अभद्र भाषा का इस्तेमाल, नफरत का खुला खेल, कानूनों की धज्जियां उड़ाई जाना, यानी अपनों को राहत दूसरों को आहत, देश की जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश, गढ़े मुर्दे उखाडऩे की राजनीति, धर्म को ढाल बनाया जाना, सदियों पुरानी एकता में अनेकता की परंपरा

दिव्य हिमाचल अखबार पिछले लगभग 26 सालों से अपने ईमानदार, निष्पक्ष प्रयासों से देश-विदेश के ताजा एवं सटीक समाचारों को सबसे पहले आम जन तक पहुंचा कर हिंदी समाचार पत्रों की अग्रणी श्रेणी में शामिल हो चुका है। दिव्य हिमाचल की स्थापना 29-12-1997 को हुई। मुझे अभी भी याद है जब 1998 में यह अखबार

हमारे देश के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी एक कविता में क्या खूब कहा है कि ‘जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रस धार नहीं, वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।’ 8 अगस्त वर्ष1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था। इसे अगस्त क्रांति के नाम से भी

बरसात के मौसम में पीने वाले पानी व खाने वाली चीजों के प्रति सचेत रहना चाहिए क्योंकि इस मौसम में बहुत जल्दी बीमारी लगने का खतरा रहता है। बरसात के मौसम में कई बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। साफ-सफाई की ओर भी बहुत जरूरत होती है। इस मौसम मेें

लक्षण बताते हैं कि देश दलीय कट्टरपंथ की ओर अग्रसर हो चुका है। एमपी में पेशाब पिलाने की घटना घटी, लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि सत्तापक्ष में बैठे किसी माननीय एसटी एमपी ने विरोध किया होगा। मणिपुर मे महिलाओं के साथ घिनौना कांड हुआ लेकिन लगता नहीं है कि सत्तापक्ष में बैठे किसी माननीय