पाठकों के पत्र

पिछले दिनों किसी काम से कालका रेलवे स्टेशन पर जाना हुआ। कालका-शिमला रेल को विश्व विरासत का दर्जा हासिल है। हम यह देखकर हैरान रह गए कि कालका शहर के गांधी चौक से रेलवे स्टेशन तक की दो लेन की सडक़ इतनी बदतर हालत में है और ऊबड़-खाबड़ है कि शायद इस पर जंगल के

हम माननीयों को चुन कर संसद और विधानसभाओं में इसलिए भेजते हैं ताकि वे स्थानीय मुद्दे और जनता से संबंधित मुद्दे उठाएं और समाधान करें, लेकिन यह देखा जाता है कि सत्तापक्ष के माननीय चुप्पी साधे रहते हैं। एससी, एसटी, ओबीसी से संबंध रखने वाले माननीयों को ही देख लीजिए, सरकार निजीकरण और लैटरल एंट्री

हिमाचल सरकार के ओल्ड पेंशन बहाली के निर्णय से सरकारी कर्मचारियों को सीधा लाभ पहुंचा है। मगर सोचने वाली बात तो यह है कि सरकारी कर्मचारियों पर तो सरकार मेहरबान रहती है, किंतु जो निजी क्षेत्र में काम करते हैं उनके लिए सरकार क्या सुविधाएं प्रदान करती है। – श्रीशा शर्मा, कांगड़ा

एक फिल्म के एक गीत के बोल हैं ‘न नशा करो, न वार करो, करना है तो प्यार कर, मुश्किल से मिलता है यह जीवन, इसे यूं न बर्बाद कर।’ नशा इंसान को किस तरह दानव बना देता है, किस तरह यह दानव इंसान के होश खो लेता है, इसका पता हमें नशे के शिकार

हिमाचल की सुक्खू सरकार हिमाचलियों के लिए विकास के कार्यों में जुटी हुई है। विकास के कार्यों में मोदी सरकार भी योगदान कर रही है। कुल्लू से चंडीगढ़ की यात्रा अब आसान हो गई है तथा कई सुरंगें व फ्लाईओवर बनने से अब इस यात्रा में ज्यादा से ज्यादा चार घंटे लगेंगे। सरकार को चंडीगढ़-धर्मशाला

इस बार की सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम में बहुत से लडक़े-लड़कियों के शानदार प्रदर्शन की खबरें सुर्खियां बनी। इस परीक्षा में इन्होंने शानदार सफलता प्राप्त की। यह परीक्षा बहुत कठिन मानी जाती है। इस परीक्षा को देने वाले युवा दिन-रात मेहनत करते हैं। इस बार के परीक्षा परिणाम में पहले चार सर्वोच्च स्थानों पर

संसद भवन मात्र ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं है, बल्कि हजारों देशभक्त भारतीयों के बलिदान का स्मारक भी है जिन्होंने आने वाली पीढिय़ों की आजादी के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी कुर्बानियों का स्मारक भी है जिन्होंने अपना धन-दौलत भारत की खुशहाली के लिए इसको समर्पण कर दिया। जब अंग्रेजों ने भारत

यह माना जाता है कि राजनीति में कोई भी घटना अचानक नहीं होती है, बल्कि हर घटना को सुनियोजित ढंग से अमल में लाया जाता है। ऐसा ही कुछ वाकया नोटबंदी से जोड़ा जा सकता है। विषेशज्ञों की मानें तो 2016 की नोटबंदी राजनीति से प्रेरित थी और नोटबंदी का असली मकसद यूपी चुनाव में

अक्सर यह भी देखा गया है कि धार्मिक आयोजनों में उपयोग की जाने वाली सामग्री या सामान को लोग धार्मिक आयोजन के संपूर्ण होने के बाद या तो किसी पानी की नहर में या फिर नदी में फैंक देते हैं। कुछ लोग तो सूखी हुई नहर में ही यह सामग्री डाल देते हैं, फिर यह