पाठकों के पत्र

(शगुन हंस, योल, कांगड़ा ) उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में बच्चे मर रहे हैं। आगरा में विदेशी सैलानियों को गुंडों ने पीटकर अधमरा कर दिया। ऐसी न जाने कौन-कौन सी अव्यवस्थाएं यूपी में पसरी हैं और वहां के सीएम योगी आदित्यनाथ हिमाचल को सुशासन समझा रहे हैं। बात गले नहीं उतर रही है…।

(अंकित कुंवर, नई दिल्ली (ई-पेपर के मार्फत)) ‘हिंदू राष्ट्र की चुनौती’ शीर्षक के तहत लिखे लेख में डा. भरत झुनझुनवाला ने हिंदू राष्ट्र के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियों के रूप में बढ़ती असमानता, भोगवाद और पर्यावरण संरक्षण का उल्लेख किया है। देश की बागडोर संभालने वाली राजनीतिक पार्टी भाजपा की नोटबंदी हो या जीएसटी, दोनों

(जग्गू नौरिया, जसौर, नगरोटा बगवां ) कोई जा रहा है, कोई निःस्वार्थ आ रहा, दिल खोल कर कोई बात नहीं बता रहा। नेता-वोटर दोनों असमंजस में हैं आज, क्यों कोई आता, क्यों कोई छोड़ जा रहा है। चौराहे पर सन्नाटा पसरा है क्यों इतना, झंडा किसी का, डंडा किसी लगा रहा है। जिसकी सुनता नहीं

पाकिस्तानी भाषा (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) पत्थरबाज बना पितंबरु, मां को पत्थर मार रहा, खिसियाया, आमास हो गया,बेटा भी गद्दार रहा। घर के अंदर दुबके हैं कुछ, खुलेआम कुछ घूम रहे, गैरत बेची, खाई, लाहौरी अम्मी को चूम रहे। संविधान से बाहर अब तुम, चले मांगने आजादी, गुुंडों को सिर पर बैठाकर, गुंडागर्दी

(सुरेश कुमार, योल) वजह कोई भी हो, अगर उम्र के आखिरी पड़ाव पर एक बुजुर्ग सड़क किनारे किसी बरामदे में जिंदगी के दिन काट रहा हो, तो इस समाज को जिंदा कौन कहेगा। एक मुर्दा जमीर का समाज ही ऐसा कर सकता है। 80 साल का एक बुजुर्ग धर्मशाला से फतेहपुर के बस स्टैंड के

(विकास शर्मा ‘दक्ष’ (ई-मेल के मार्फत)) नाडियाड का था पाटीदार, कहते हैं उसे सरदार, दृढ़ इरादा और पौरुष लौह, एकता का कर्णधार। बारदोली सत्याग्रह छेड़ा, रास्ता बेहद टेढ़ा था, वल्लभ ने उठाया बीड़ा, अंग्रेजों को खदेड़ा था, जिन्ना का मनोबल तोड़ा, प्रधानमंत्री पद छोड़ा। एकसूत्र में पिरोया, सब रियासतों को जोड़ा। लोहा मनवाया अपना दुश्मन

(सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल) परंपरागत दलों की राजनीति से जो लोग ऊब चुके हैं, उनके समक्ष एक विकल्प आजाद उम्मीदवार के रूप में भी उपलब्ध रहता है। अतीत में भी कई साफ छवि वाले नेता चुनकर विधानसभा में पहुंचते रहे हैं और अपने-अपने क्षेत्र के विकास में इन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजाद

(प्रियंका शर्मा, रैत, शाहपुर, कांगड़ा) आज का दिन लौह पुरुष वल्लभभाई पटेल की स्मृति में उनके जन्मदिन पर हर वर्ष की तरह राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय एकता दिवस का ऐलान 2014 में किया गया, इसे वल्लभभाई पटेल के राष्ट्र के प्रति एकीकरण समर्पण को याद रखकर तय किया

(बलदेव राज अत्री, भटियात, चंबा ) हिमाचल प्रदेश के विकास के लिहाज से अगले पांच साल कैसे रहने वाले हैं, यह काफी हद तक नौ नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों पर निर्भर करता है। ऐसे में प्रदेश के भविष्य को सुरक्षित एवं खुशहाल बनाने में प्रदेश के हर मतदाता की भूमिका काफी बढ़ जाती