पाठकों के पत्र

(रूप सिंह नेगी, सोलन) टिकटों के बंटवारे के साथ विरोधी सुर या बगावत की चिंगारी न उठे, यह हो नहीं सकता। जो नेता वर्षों से पार्टी की सेवा में पसीना बहाते रहे हों, तो लाजिमी है कि उन्हें  टिकट मिलना ही चाहिए। जब उन्हें टिकट नहीं मिलता तो आहत होना भी स्वाभाविक ही है। कुछ

सुरेश कुमार, योल, कांगड़ा हिमाचल नहीं, भारत नहीं, शायद विश्व में यह संयोग पहली बार बना है कि किसी मामले (कोटखाई के बिटिया प्रकरण) में पूरी जांच एजेंसी जेल में बंद है और सारे आरोपी जमानत पर बाहर आ गए हैं। ऐसा चमत्कार देवभूमि हिमाचल में हुआ है। कानून के रखवाले ही कठघरे में हैं,

(विजय सिंह मनकोटिया, नूरपुर) भारतवर्ष में अनेक धर्मों के लोग निवास करते हैं और सभी लोग अपने धर्मानुसार पूजा-अर्चना करने में विश्वास रखते हैं। इस आस्था की उतनी ही सीमा होनी चाहिए, जिससे बाद में उन्हें पछताना न पड़े। हाल ही में कई ऐसे प्रकरण प्रकाश में आए हैं, जिनमें लोगों की ऐसी अंधी आस्थाओं

(अमित पडियार (ई-मेल के मार्फत) ) पंजाब में संघ की शाखा के मुख्य शिक्षक की हत्या कर दी गई। देश भर में संघ, भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या का सिलसिला चल रहा है। केंद्र में सत्तासीन होने के बावजूद भाजपा ऐसी वारदातों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने में अब तक विफल रही है।

(राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा ) हिमाचल एक गांवों का प्रदेश है। गांवों तक सोशल साइट्स का कुछ खास मायाजाल तो वैसे है नहीं, लेकिन फिर भी युवा वर्ग इस पर काफी हद तक उपस्थिति दर्ज करवा चुका है। युवा वर्ग का एक अच्छी सरकार बनाने में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। सोशल साइट्स जहां

(सुरेश कुमार, योल ) आज की राजनीति कितनी थकाऊ और उबाऊ हो गई है। नेता तो टिकट लेने के चक्कर में ही कितनी ऊर्जा गंवा चुके हैं। धड़कने टिकट मिलने या न मिलने ने ही बढ़ा दी, चुनाव जीतना तो बाद की बात है। पहला पड़ाव तो पार्टी हाइकमान को जीतना है। अब टिकट मिले

(राजेश चौहान, सुजानपुर टीहरा ) भारतीय त्योहारों पर कुछ-कुछ पश्चिमी रंग चढ़ता जा रहा है। दीपावली की चकाचौंध भी अब दीपों के बजाय जगमग बिजली की लाइटों से की जाने लगी है। हम दुनियावी दिखावे में इतने मशगूल हो चुके हैं कि इस मौके पर खुशी का इजहार करने के लिए घरेलू पकवानों से मुंह

(शब्द शिल्प, मंदसौर ) आंगन-आंगन चौबारे नाच उठे, दीपोत्सव के उल्लास में। मन की कोयलिया कुहूक उठी, दीप पर्व के उल्लास से। दीपशिखा प्रज्वलित हो उठी, प्यार की दीप-ज्योत से। दमक उठे कण-कण रूप, रोशनी के शृंगार से। द्वार-द्वार जले जगमग, दीप आस्था और विश्वास के।

(ओनम सिंह राणा, पांचवीं कक्षा की छात्रा ) आज पूरे देश और दूसरे देशों में रहते हुए भारतीय आस्थाओं को निभाने वाले लोगों द्वारा दीपोत्सव मनाया जा रहा है। हर भारतीय को इस उत्सव के अवसर पर हमारी तरफ से ढेरों बधाइयां! दीपावली के पावन-पवित्र त्योहार को पूरी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाएं। घर-परिवार,