पाठकों के पत्र

रावण लीला जारी है… (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) दस-दस तेरे शीश हैं और सहस्त्र सौ हाथ, अगणित सेना असुर की, देती तेरा साथ। एक काटते सौ बने, सौ के बने हजार, प्रतिपल बढ़ता सौ गुना, तेरा अत्याचार। सदियों से करते दहन, नहीं बनी कुछ बात, गली-गली में फिर रहा, बिगड़ रहे हालात। रावण

(सुरेश कुमार, योल ) हिमाचल इलेक्ट्रिक वैन चलाने वाला देश का पहला राज्य बन गया। यह एक छोटे से प्रदेश के लिए उपलब्धि से कम नहीं, जहां साधन-संसाधन सीमित मात्रा में हों। छोटे-छोटे डग भरते हिमाचल ने लंबी छलांग लगाई और आज एक विश्व स्तरीय क्रिकेट स्टेडियम इसकी झोली में है। यही छोटा सा प्रदेश

(रमेश सर्राफ धमोरा, धमोरा, झुंझुनू ) दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, शस्त्र पूजा की जाती है। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है, रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे

सत्य गया फिर जीत (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) लो जीत गया सत्य, झूठ गया फिर हार, सदाचार की जीत है, हार गया व्यभिचार। हिंसा, अत्याचार से, होता सत्यानाश, कपट, दंभ, अन्याय, छल, किसको आया रास। ज्ञानी, अज्ञानी बना, अहंकार में चूर, अच्छाई की है विजय, सदाचार भरपूर। राम सनातन सत्य हैं, सदा प्रेम

नापाक की किरकिरी (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) जननी है आतंक की, बहुत घिनौना रूप, मार रहा दुर्गंध अति, है अत्यधिक कुरूप। धोखेबाद, झूठा, फरेबी, है दुष्चरित्र, बदनाम, यूएन में भी पिट गया, पग-पग पर नाकाम। स्वयं करवाई बेइज्जजी, भरी सभा में आज, बेशर्मी ओढ़ी हुई, कभी न आई लाज। मुजरिम सारे विश्व का,

(अनिल कुमार जसवाल, ऊना रोड, गगरेट ) भारत एक लोकतांत्रिक व पंथनिरपेक्ष देश है। यहां सरकार का अपना कोई धर्म नहीं है। सरकार हर धर्म का सम्मान करती है। हर व्यक्ति को अपनी मर्जी से धर्म चुनने का अधिकार है। यहां भिन्न-भिन्न धर्मों के अपने-अपने धार्मिक स्थान हैं। इन धार्मिक स्थानों में लोगों की बहुत

(डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक बार फिर से कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि जरूरत पड़ने पर सर्जिकल स्ट्राइक दोबारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि सेना घुसपैठ करने वाले आतंकियों को अढ़ाई फुट जमीन के नीचे भेजती रहेगी। पाकिस्तान को सेना प्रमुख का यह संदेश स्वागत योग्य है।

(शगुन हंस, योल ) रैलियां राजनीति के लिए संजीवनी सही, पर आमजन के लिए आफत से कम नहीं। अभी हाल ही में कांगड़ा में अमित शाह की रैली में भाजपा ने ताकत दिखाई और इसमें पिसा आमजन। कई किलोमीटर तक जाम जगह-जगह देखने को मिला। इसी जाम में एक दो जगह एंबुलेंस फंसी होने के

(रूप सिंह नेगी, सोलन ) हिमाचल प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारों मेें सरगर्मियों का रफ्तार पकड़ना और टिकट  की चाह रखने वाले नेताओं का शहर- शहर व गांव- गांव की गलियों में पसीना बहाना स्वभाविक है। टिकटों की बंदरबांट के बाद नेताओं का हरियाली की तलाश मे दल बदलने