पाठकों के पत्र

एक बार फिर पेपर लीक भर्ती के मामले ने कई युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। इससे पहले भी कई बार ऐसे मामले सरकार के सामने आ चुके हैं, लेकिन हैरानी तो इस बात की है कैसे एक जिम्मेदार ओहदे पर बैठे कुछ स्वार्थी लोग सबकी आंखों में धूल झोंककर ऐसे कारनामों को

गेहूं की फसलों पर एक बार फिर से बारिश का खतरा मंडराने लगा है। अप्रैल में जहां एक ओर फसलों की कटाई का दौर जारी है, तो वहीं दूसरी ओर बारिशों का दौर जारी है। इस दौरान मौसम विभाग द्वारा भी अलर्ट जारी करते हुए सतर्क रहने को कहा जा रहा है। गौरतलब है कि

इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है कि देश जून 2023 में जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ कर उससे आगे हो सकता है, यानी भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन सकता है। जनसंख्या की बढ़ोतरी के लिए क्या जनता को ही दोषी ठहराया जा सकता है? या फिर जनता और

मेले भारत की संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग हैं। ये संस्कृति को संजोये रखते हैं। भारत जैसे उन्नति कर रहे देश में मेलों की अपनी अलग पहचान है। आज देश में जगह-जगह दुकानें, मॉल और छोटे-छोटे बाजार बन गए हैं किंतु मेलों की लोकप्रियता फिर भी कायम है। मेला शब्द सुनते ही मन में अलग सा

माननीय कानून मंत्री ने हाल में कथित तौर से कहा कि अडानी कोई मुद्दा नहीं है और यह मुद्दा केवल राहुल की सहायता के लिए उठाया गया है। इस बयान में कितना दम है या नहीं है, इसे देश की जनता पर छोडऩा बेहतर रहेगा, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि यह बात किसी के

हमारे देश में फीजियोथैरेपी का बहुत महत्त्व है। इसका प्रयोग बढ़ रहा है। वैसे शरीर की हड्डियों को दुरुस्त रखने और अन्य कुछेक बीमारियों से बचने के लिए फीजियोथैरेपी चिकित्सा पद्धति हमारे देश के लिए कोई नई पद्धति नहीं है। इसका प्रचलन हमारे देश में प्राचीन समय से है। यह लगभग 200 साल पुरानी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार कहा था कि ‘सरकार के प्रयासों में जब जन-भागीदारी जुड़ती है, तब उसकी शक्ति बढ़ जाती है।’ जन-भागीदारी से ही कर व्यवस्था को सुधारा जा सकता है। मोदी सरकार ने देश में आर्थिक कर में पारदर्शिता लाने के लिए जीएसटी जैसा कड़वा फैसला लिया था, लेकिन इसमें कुछ कमियां

23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस बहुत से देशों में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 23 अप्रैल 1995 को यूनेस्को में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर के मुख्य लेखकों को सम्मान और जो लेखक दुनिया को अलविदा कह गए हैं, उन्हें श्रद्धांजलि देना भी है। इस दिवस को मनाने का एक उद्देश्य लोगों की

इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है कि देश जून 2023 में जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ कर उससे आगे हो सकता है, यानी भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन सकता है। जनसंख्या की बढ़ोतरी के लिए क्या जनता को ही दोषी ठहराया जा सकता है? या फिर जनता और