पाठकों के पत्र

(नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा ) संत का लिबास पहने तथाकथित पाखंडी बाबाओं की करतूतों से समूचे संत समाज को बदनामी झेलनी पड़ती है। सवाल खड़ा होता है कि सादगी भरा व अनासक्त जीवन जीने की राह दिखलाने वाले साधु-संत क्या स्वयं उस पथ का अनुसरण करने लगे हैं? सच तो यह है कि साधु कर्मों

( अखिलेश कुमार, इलाहाबाद (ई-पेपर के मार्फत)  ) जैसे-जैसे देश का आर्थिक विकास हो रहा है, वैसे-वैसे भारत की आहार संस्कृति में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव का कारण जहां पश्चिमी आहार संस्कृति का अंधानुकरण है, वहीं आहार की गलत जानकारी भी दोषी है। मांस खाने वाले ज्यादातर भारतीयों की धारणा और मान्यता

( ध्रुव, पुराना मटौर, कांगड़ा ) शिक्षक दिवस आने वाला है, जो कि गुरु-शिष्य परंपरा का वाहक है। हर विद्यार्थी इस दिन गुरुओं को सम्मानित करके गर्व महसूस करता है। मगर पिछले कुछ समय में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनके कारण अब गुरु पर से विश्वास ही उठने लगा है। कहीं गुरु अपनी

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) तीन तलाक हुआ हलाल न्यायालय है उच्चतम, इसका देख कमाल, फांसी तीन तलाक को दी, किया खूब हलाल। अधिकारों का था हनन, अंधकार अन्याय, मिली आज स्वाधीनता, इसको कहते न्याय। बात-बात पर भज रहे थे, वो तो तीन तलाक, न्यायालय ने दे दिया, उनको आज तलाक। खेला जब

(सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल ) विचारकों का मत है कि जिस दिन सियासत में धर्म और धर्म में सियासत शामिल होगी, तब लोकतंत्र में कई विषयों को लेकर समस्याएं उत्पन्न होंगी और देश की भीतरी और बाहरी सुरक्षा में कमजोरी आएगी। देश पीछे छूटकर अपने-अपने धर्म की चिंता पहले होगी। हरियाणा के भयावह

(कांशी राम, थुलेल, भटियात ) भटियात क्षेत्र की ग्राम पंचायत थुलेल के वार्ड नंबर चार (अणाईं गांव) में सड़क निर्माण को आठ वर्ष पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत स्वीकृति मिल गई थी। इस गांव की कुल आबादी लगभग 250 के तकरीबन है। आज तक सड़क सुविधा नसीब न होने से हर दिन लोग

(डा. शिल्पा जैन सुराना, वारंगल, तेलंगाना ) ढोंगी बाबा राम रहीम को मिली सजा ने फिर से साफ कर दिया है कि देर से ही सही, मगर अपराधी को सजा मिलकर ही रहती है। हमारे देश को आजादी मिले इतने वर्ष हो गए, पर ऐसे पाखंडियों से आजादी पाने में हम आज भी नाकाम दिखते

(राजेश धीमान, लुदरेट, कांगड़ा ) अगर सरकार पर्यावरण को ठीक करने की सच्ची हितैषी है, तो उसको चाहिए कि पौंग डैम की जो करीब 1300 एकड़ जमीन देहरा से लेकर जवाली तक खाली पड़ी है, उस पर बड़ी संख्या में पौधारोपण हो सकता है। अगर वहां पर इस तरह का कोई प्रयास किया जाए, तो

(शगुन हंस, योल ) मोदी जी अपने मन की बात तो कह लेते हैं, पर कभी देश के मन की बात भी सुनें। हमारे आठ जवान शहीद होते और दो आतंकी ढेर होते हैं। यह अनुपात तो हारने जैसा ही है। कब तक ढोएंगे सरहदों से लाशें? मन से बाहर, जमीन पर उतर कर सोचें