पाठकों के पत्र

(रमेश सर्राफ, घमोरा ) किसानों की आत्महत्या किसी भी समाज के लिए एक बेहद शर्मनाक स्थिति है। आखिर वे कौन सी परिस्थितियां हो सकती हैं, जिसकी वजह से किसान, जो सबके लिए अनाज उपजाता है, वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। भारत में अभी हाल के दिनों में किसानों के आत्महत्या करने के

(केसी शर्मा,सूबेदार मेजर (रि.), गगल ) भारतीय फौज को सरकार द्वारा और शक्ति प्रदान करनी चाहिए। सैनिकों की सहूलियतों में बढ़ोतरी और अच्छे वेतनमान सरकार दे। इस समय अठारह लाख पेंशन भोगी पूर्व सैनिक हैं, जिनकी पेंशन पर अब भी विवाद है। सातवें वेतन आयोग की कुछ सिफारिशें लागू हो चुकी हैं, कुछ लागू होना

(दीपिका चौहान, नादौन )  हिमाचल में अकसर प्रशासन तभी जागता है, जब कोई हादसा हो जाता है। दो चार दिन अलर्ट रहता है, फिर उसी ढर्रे पर सब चलने लगता है। अभी हाल ही में मंडी के कतांडा में एक फोरेस्ट गार्ड होशियार सिंह की लाश पेड़ पर लटकी मिली है। अभी तक कुछ भी

भड़कावे में आ गए (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) भड़कावे में आ गए, भोले बड़े किसान, अब पछतावा हो रहा, बुरी फंस गई जान। कुंतलिया भड़का रही, खुद लगवाती आग, राहु लल्ला छेड़ते, अजब गजब के राग। सूरत लाकड़ सी लगी, या जाकड़ का हाथ, नाम कृषक का पड़ गया, गुडों को दी मात।

(सुरेश कुमार, योल) अंग्रेजों के बनाए पुल शताब्दी से भी ज्यादा उम्र के हो गए और अभी भी आवाजाही के काम आ रहे हैं। आजाद भारत के हिमाचल के सुंदरनगर में पड़सल गैहरा का एक पुल सिर्फ एक दिन ही जी पाया और एक साइड से बैठ गया। यह कैसा पुल जो एक दिन भी

(जयेश राणा, मुंबई, महाराष्ट्र) चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-दक्षिण अफ्रीका का मैच देखने स्टेडियम पहुंचे भारत से भागे विजय माल्या को देखकर भारतीय प्रशंसक चोर-चोर चिल्ला रहे थे। उन प्रशंसकों ने एकदम सही शब्दों में स्टेडियम में माल्या का स्वागत किया। ‘चोर विजय माल्या’ यह नाम उसके लिए उचित है। चोर को चोर नहीं तो और

(प्रेमचंद माहिल, लरहाना, हमीरपुर) राज्य सरकार के पास पुलिस ही एक ऐसा महकमा है, जो चौबीस घंटे ड्यूटी देता है। जब हम रात को आराम कर रहे होते हैं, तो पुलिस पहरा देती है। पुलिस जागती है, तभी हम चैन की नींद सोते हैं। ऐसे ही जब हम दिन-त्योहार पर अपने घरवालों के साथ होते

अव्वल को न सताइए, चुभा रहे क्यों तीर शिक्षा के कुरुक्षेत्र में, है बिहार का वीर। सुर का है सम्राट यह, बाह-बाह क्या बात। ताल सुरों को मारता, बड़े प्यार से लात। सींग कटा कर बन गया बछड़ा, देख अधेड़ । नोट तंत्र में, नोट से, पीट रहा है रेड। नकल अकल से हो रही,

(विपिन कुमार, मंडी) हिमाचल प्रदेश में भी देश के अन्य राज्यों की भांति बहुत से लोग छोटे-मोटे व्यवसाय या दुकानदारी से अपना रोजगार चलाते हैं।  छोटे व्यवयाय में सबसे बड़ी समस्या पैसे या पूंजी की आती है। सरकार ने चाहे कई योजनाएं बैंकां के माध्यम से छोटे व्यवसायियों हेतु चलाई हैं, परंतु बैंक भी छोटे