पाठकों के पत्र

(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा ) वर्तमान समय आम आदमी पार्टी के लिए राजनीतिक व सांगठनिक लिहाज से बेहद अशुभ चला हुआ है। एमसीडी चुनाव में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में उथल-पुथल का माहौल है और आने वाले समय में पार्टी में किसी अनहोनी की आहट सुनाई दे रही है। पार्टी के

(अक्षित, आदित्य, तिलक राज गुप्ता, रादौर (हरियाणा) ) गत दिनों तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा जी की तवांग यात्रा पर चीन ने अपनी बदनीयत के अनुसार खूब हो-हल्ला किया और भारत को तरह-तरह से धमकी दी। इसके जरिए उसने यह जताने की कोशिश की कि अरुणाचल प्रदेश पर भारत के आधिपत्य को वह स्वीकार नहीं

( कृष्ण संधु, कुल्लू ) क्या ऐसा कोई नियम बना है, जिसमें कृषि भूमि भवन बनाने के लिए धड़ाधड़ बेची जा रही है।  किसान ऊंची कीमत के लालच में अपनी बहुमूल्य जमीनें बेचने में लगे हुए हैं, जिसके कारण प्रकृति की गोद में बसे हिमाचल में भी कंकरीट के कांटे उग आए हैं। इस प्रक्रिया

(डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर) यूं तो श्रम दिवस के नाम पर एक दिन का सवैतनिक अवकाश और कहने को कार्यशालाएं, गोष्ठियों व अन्य आयोजनों की औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं, पर आज असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं को लेकर कोई गंभीर नहीं दिखाई देता। आज मजदूर आंदोलन लगभग दम तोड़ता जा रहा

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर) पराधीन वे हैं नहीं, हर तरह स्वतंत्र, दिल चाहे जो भी करें, एकमात्र यह मंत्र। चरणवंदना कर रहे, दहशत की दिन-रात, बात-बात पर कर रहे, भड़काने की बात। हैं निर्वस्त्र पर कर रहे, चौराहे पर नाच, पत्थर सेना पर पड़े, कभी न आई आंच। छुरा छिपाकर बगल में, जपे खुदा

(सुरेश कुमार, योल) चाहा तो यह था कि हिमाचल अपने पर्यटन के लिए पहचाना जाता, अपने शक्तिपीठों के लिए जाना जाता, पर आज हिमाचल की पहचान जाम और ब्रिटिश टाइम के बूढ़े पुलों की वजह से है। पर्यटन सीजन में जब हम पर्यटकों का कारवां हिमाचल की ओर बढ़ते देखते हैं, तो लगता है कि

( सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल, कांगड़ा ) किसी बुराई से मुक्ति पाना है, तो जन आंदोलन एक कारगर तरीका है, लेकिन शराबखोरी की बुराई का अंत मेरे हिसाब से असंभव है। शराब का सेवन प्राचीन काल से दुनिया में होता आया है। आज भी शराब पीने वालों की संख्या करोड़ों में है। गरीब

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) झाड़ू बिखरी हाथ से, लुटा फूल को प्यार, दिल्ली ने चूमे कदम, फक्कड़ को उपहार। नीरज की मुस्कान है, सबका है सरताज, कुछ दल को पेचिश हुई, कुछ को उठती खाज। इंद्रप्रस्थ का था किया, कचरा और कबाड़, नित नवीन पंगे लिए, फेंक सभ्यता भाड़। राजनीति कचरा भरी,

( वर्षा शर्मा, पालमपुर ) दिल्ली से अपने सियासी करियर की शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल के साथ जितनी जल्दी जन भावनाएं जुड़ी थीं, उतनी ही तेजी से उनके प्रति जनता का मोहभंग होता भी दिख रहा है। इसका हालिया उदाहरण दिल्ली एमसीडी चुनावों का है। बेशक ये एमसीडी के ही चुनाव थे, लेकिन इसमें