पाठकों के पत्र

( रमेश सर्राफ धमोरा (ई-मेल के मार्फत) ) भारत देश को आजाद हुए 68 साल से ज्यादा बीत चुके हैं। इस दौरान भारत ने उत्तरोत्तर प्रगति की है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता, परंतु सिर पर मैला उठाने की परंपरा आज भी जारी है। आखिर यह परंपरा कब समाप्त होगी, यह बात

( अक्षित, आदित्य, तिलक राज गुप्ता, रादौर ) 3600 करोड़ रुपए के अगस्ता बेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकाप्टर सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप में पूर्व वायुसेना प्रमुख की गिरफ्तारी से वायुसेना प्रमुख जैसे प्रतिष्ठित पद की गरिमा पर आंच आई है। पहली बार किसी एयरचीफ मार्शल पर गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई है। बताया गया है कि

( जग्गू नौरिया, नगरोटा बगवां ) समझाना कियां इन्हां बांदरां जो, दसना कियां लोको सरकारा जो, पन्नी दित्ते हाण सलेट सारे, दिखा लद्दे दियां टारां जो। लुकोई नी सकदे रोटियां जो, डरदे नी दिखी सोठियां जो, खूंखार होये नखस्मे ए लोको, झपटां मारदे डरांदे वोटियां जो। कुत्थू लाणा हुण राण जानी, कुत्थू लाणा वीण, पालक,

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा ) चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के साथ ही पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज गया है। वैसे देखा जाए तो इसे 2019 के लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास भी कहा जा सकता है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम शुरू से ही

( रूप सिंह नेगी, सोलन ) केंद्र सरकार की कालेधन पर नकेल कसने की मुहिम क्या रंग लाती है, यह फिलहाल समय पर छोड़ते हैं, लेकिन बीएसपी के खाते में 104 करोड़ रुपए जमा होने पर सियासत क्यों गरमा गई है? जब दूसरे दलों के खातों में करोड़ों की राशि जमा होती है, तो फिर

( अर्पिता पाठक ) तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को सारधा, रोजवैली जैसे चिटफंड घोटाले के संदर्भ में गिरफ्तार करने पर उस पक्ष के समर्थक क्रोधित हो गए हैं। नेता चाहे किसी भी दल का हो, वह किसी भी घोटाले में शामिल होने के सबूत होने के बाद भी उसका समर्थन करना गलत है। देश

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) सांसद अनुराग ठाकुर को उस समय गहरा आघात लगा, जब माननीय उच्चतम न्यायालय ने अनुराग को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया। गौरतलब है कि आईपीएल में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग का मामला उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में पसरी सफाई का बीड़ा

( प्रेमराज भावटा, टिक्कर, शिमला ) संकल्प यदि जनहित के लिए हो, तो उसे साकार करने में प्रकृति भी साथ देती है। इतिहास गवाह है, जब-जब राष्ट्र नायकों ने राष्ट्रहित में जनता को अपनी सुख-सुविधाएं त्याग देने का आह्वान किया, तो देशवासियों ने इसे पवित्र व्रत के समान श्रद्धा से आत्मसात किया। गत वर्ष भारत-पाक

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) सिंहासन वजनी बना, रिश्ते फेंके भाड़, परिजन ही परिवार के, जड़ से रहे उखाड़। दोनों खेमे सामने,  बाजू रहे हैं तान, अमरू, शिव, गोपाल ने, ऐसा डाला जाल। नेताजी यह क्या किया, इज्जत मटियामेट, क्यों इतना अब गिर गया, राजनीति का खेल। रोज निकाले जा रहे, रोज आ