संपादकीय

वह अखंड भारत के प्रणेता ‘सरदार’ थे। बेशक अखंड भारत की वह परिकल्पना सामने नहीं थी, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, बर्मा आदि मौजूदा देश भारत राष्ट्र के ही हिस्से थे। बेशक अखंड भारत का वह सपना भी सामने नहीं था, जो पोरस और चंद्रगुप्त मौर्य सरीखे राजाओं ने देखा और जीया था। हालांकि 1947 में

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का हिमाचल में आना उन चिरागों को फिर से जलाने का प्रयास भी रहा, जो प्रोफेशन की नई परिभाषा में बदनाम हो रहे हैं। जाहिर तौर पर राष्ट्रपति का प्रदेश के दो मुख्य संस्थानों में आगमन स्वयं में राष्ट्रीय अवलोकन और मूल्यांकन भी माना जाएगा, क्योंकि संबोधन के संदर्भ प्रेरित करते हैं।

मात्र 3 मिनट की सुनवाई और राम मंदिर सरीखे बेहद संवेदनशील मुद्दे को एक बार फिर टाल दिया गया। यह देश के प्रधान न्यायाधीश की पीठ का फैसला है, जिसने इस मुद्दे को प्राथमिकता वाला नहीं माना। पीठ के मुताबिक जनवरी 2019 में पीठ तय करेगी कि अयोध्या विवाद की सुनवाई किस तरह की जाए,

फिर हिमाचली पर्यटन का चरित्र दागदार हुआ और अंतरराष्ट्रीय ख्याति पर कालिख पुत गई। मनाली ने खुद को ऐसे पाप का पुनः भागीदार बना लिया जो हिमाचली फितरत का प्रतिनिधित्व कतई नहीं करता। रूसी महिला पर्यटक से पहले इसी साल एक जापानी सैलानी भी मनाली में बलात्कार का शिकार हो चुकी है। पिछले कुछ सालों

यह मुद्दा पहले भी उठता रहा है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी से यह सिलसिला जारी रहा है। हैरानी यह है कि कांग्रेस नेता, सोनिया और राहुल गांधी समेत, गालियों के डंक मारते रहे हैं, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी का ही नहीं, देवों के देव महादेव शिव का भी अपमान किया

वर्षों बाद हिमाचल में पुस्तकालय नया जन्म ले रहा है और अगर शिमला का नया भवन किताबों के संग्रह के साथ-साथ युवाओं के समूह का उत्साह बढ़ाता है, तो यह शिक्षा के अभिप्राय को भविष्य से जोड़ेगा। शिक्षा सचिव की विशेष रुचि और छात्रों की भारी मांग पर राज्य पुस्तकालय अपने द्वार चौबीस घंटे खोलकर

सोमवार से अयोध्या विवाद पर निर्णायक सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में शुरू हो रही है। चूंकि प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई बन गए हैं, लिहाजा न्यायिक पीठ बिलकुल नई होगी। जस्टिस गोगोई के साथ जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एसके कौल इस विवादास्पद मुद्दे की सुनवाई करेंगे। संभव है कि मामला कुछ देर के लिए लटक

विश्व पैराग्लाइडिंग के मानचित्र में लगातार उड़ान भरती बीड़-बिलिंग घाटी आखिर क्यों हादसों की कब्रगाह बन रही है, इस सवाल का मौखिक उत्तर तो स्थानीय पायलट भी बता देंगे, लेकिन तैयारियों और सतर्कता का तानाबाना नदारद है। दो अंतरराष्ट्रीय पायलटों की मौत के बाद प्रशासन जरूर हरकत में आया, लेकिन किसी भी साहसिक खेल के

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर स्वायत्तता का राग छेड़ा है। उनकी यह भी इच्छा है कि कश्मीर का अपना ‘प्रधानमंत्री’ होना चाहिए। शेख अब्दुल्ला के इतिहास और दौर में कश्मीर को वापस ले जाना चाहता है अब्दुल्ला परिवार! यह संभव नहीं है। कश्मीर भी भारत का अंतरंग हिस्सा है और